अबरार अहमद खान/मुकीज खान, भोपाल (मप्र), NIT:
मध्य प्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठक में नागरिकता संशोधन कानून को वापस लेने के लिए संकल्प पारित किया गया है। संकल्प में मांग की गई है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम को निरस्त किया जाए। यह जानकारी कैबिनेट की बैठक के बाद जनसंपर्क मंत्री पी.सी. शर्मा ने मीडिया को दी है। मंत्री शर्मा ने कैबिनेट बैठक में पारित संकल्प को पढ़कर सुनाया। सरकार ने कहा कि संसद में पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 संविधान के आदर्शों के अनुरूप नहीं है।
सरकार ने शासकीय संकल्प पत्र में कहा कि पंथनिरपेक्षता भारत के संविधान की आधारभूत अवधारणा है जिसे बदला नहीं जा सकता। संविधान की उद्देशिका में यह स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि भारत एक पंथनिरपेक्ष देश है साथ ही संविधान का अनुच्छेद 14 देश के सभी वर्गों के व्यक्तियों के समानता के अधिकार और कानून के अंतर्गत समानता की गारंटी प्रदान करता है। नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 (CAA) जिसे दिसम्बर 2019 में संसद
द्वारा अधिनियमित किया गया है के द्वारा धर्म के आधार पर अवैध प्रवासियों में विभेद के प्रावधान वर्णित हैं। यह संविधान में प्रावधानित पंथनिरपेक्ष आदर्शों के अनुरूप नहीं है।
भारतीय संविधान के अंगीकृत करने के बाद यह पहला अवसर है जब धर्म के आधार पर विभेद करने के प्रावधान संबंधी कोई कानून देश में अधिनियमित किया गया है इससे देश का पंथनिरपेक्ष स्वरूप एवं सहिष्णुता का ताना बाना खतरे में पड़ जायेगा। नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 में ऐसे प्रावधान क्यों किये गए हैं यह लोगों की समझ से परे है साथ ही जनमानस में आशंका को भी जन्म देता है। परिणामस्वरूप देशभर में इस कानून का व्यापक विरोध हुआ है एवं हो रहा है। मध्यप्रदेश में भी इस कानून के विरोध में निरंतर प्रदर्शन देखे गये हैं जो कि शांतिपूर्ण रहे हैं और जिनमें समाज के सभी वर्गो के लोग शामिल रहे हैं।
इन तथ्यों के परिप्रेक्ष्य में यह स्पष्ट है कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 संविधान की आधारभूत विशेषताओं एवं समानता के उपबंधों का उल्लंघन करता है इसलिए संविधान के मौलिक स्वरूप एवं मंशा के अनुरूप, धर्म के आधार पर किसी भी तरह के विभेद से बचने के लिए एवं भारत में समस्त पंथ समूहों के लिए कानून के समक्ष समानता को सुनिश्चित करने के लिए मध्यप्रदेश शासन भारत सरकार से नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 को निरसित करने के लिए आग्रह करता है साथ ही मध्यप्रदेश शासन भारत सरकार से नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 को निरसित करने के साथ-साथ जनमानस में उपजी आशंकाओं को दूर करने के लिये ऐसी नयी सूचनाओं जिन्हें राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) 2020 में अद्यतन करने के लिए चाहा गया है को वापस लेने एवं उसके पश्चात ही राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के अधीन गणना करने का कार्य हाथ में लेने का आग्रह करता है।