यह चुनावी नहीं वजूद की लड़ाई है जिसे हम जरूर जीतेंगे: आइशी घोष | New India Times

अबरार अहमद खान/मुकीज खान, भोपाल (मप्र), NIT:

यह चुनावी नहीं वजूद की लड़ाई है जिसे हम जरूर जीतेंगे: आइशी घोष | New India Times

राजधानी भोपाल के इक़बाल मैदान में चल रहे सत्याग्रह और मध्यप्रदेश की कोऑर्डिनेशन कमेटी अगेंस्ट CAA, NRC, NPR की ओर से आयोजित “गांधी तेरे देश में, नागरिकता पर सवाल क्यों?” विषय पर जनसभा का आयोजन किया गया। जिस में जेएनयू की छात्र नेता आइशी घोष ने लोगों को संबोधित करते हुऐ कहा कि भोपाल से जो चिंगारी जलाई है उसे जेएनयू ले जाने आई हूं। हम लांग मार्च के जरिये इस देश के शासक को झुकाने को तैयार हैं। रोहित वेमुला को उसके जन्मदिन पर याद करते हुए आइशी ने कहा कि आज अगर इतिहास को नहीं समझे तो हम शिक्षा को नहीं समझ पाएंगे। हिटलर और मोदी की समानता को समझना जरूरी है। अंग्रेजों ने समझ लिया था कि हिन्दू मुसलमान को अलग अलग करके ही राज किया जा सकता है। तब भी कुछ लोग अंग्रेजों की चाटुकारिता कर रहे थे और भगत सिंह जैसे लोग भी थे, जो आंखों में आंख डालकर कहते थे कि हम चाटुकारिता नहीं करेंगे। जब जब चुनाव आता है तो जेएनयू के मुद्दे को उठाते हैं। हमें दुश्मन बताते हैं। कालेधन की विकास की बात की उसके लिए डिमोनेटाइजेशन किया, लेकिन काला धन, नक्सल कुछ भी खत्म नहीं हुआ। हम लड़ेंगे भी, पढ़ेंगे भी। जेएनयू से यह आवाज़ जरूर उठेगी और इस काले कानून को जरूर रोकेंगे। हम इस सरकार को झुकायेंगे। आज ये लड़ाई सिर्फ चुनाव की नहीं है, यह वजूद की लड़ाई है। जिसे हम जरूर जीतेंगे।

यह चुनावी नहीं वजूद की लड़ाई है जिसे हम जरूर जीतेंगे: आइशी घोष | New India Times

वहीं वरिष्ठ पत्रकार आरिफा खानुम शेरवानी ने कहा कि आतंकवादी की परिभाषा में आज जामिया के छात्र पर गोली चलाने वाला शख्स भी है। वह टेरीरिस्ट के साथ सुसाइड बम्बर भी था। यह राजनीति एक तबके के खिलाफ नफरत कर रही है। यह पूरी नस्ल को हिंसक बना रही है। एक मंत्री कहता है कि गोली मारो, अमित शाह बटन जोर से दबाने की बात करते हैं। लोग कहते हैं यह अंधेरा वक़्त है, लेकिन यह उजाले का वक़्त है। जब कश्मीर के साथ शाहीन बाग आवाज बनता है तो वो गांधी की सोच को जिंदा करता है। आज दो सोच लगातार एक दूसरे से लड़ रही हैं।यह गोडसे और गांधी की सोच है। सवाल यह है कि हम गांधी की सोच को जिंदा रख पाएंगे। आज भोपाल और पूरे देश में हौसला, हिम्मत, उम्मीद सब दिखता है, लेकिन यहां ख़ौफ़ नहीं है। तानाशाह इसी बात से डरता है कि लोग अब उससे डरते नहीं हैं।
जामिया से आये छात्र नेता मोहम्मद जाकिर रियाज़ ने कहा में उस यूनिवर्सिटी से हूं जिसकी बुनियाद गांधी जी ने रखी और गोडसे को मानने वालों से लड़ रहे हैं। ये सरकार कितना ही जुल्म कर ले, हमने जो ठाना है हम वो लेकर रहेंगे। आज भी पुलिस की गोली से जामिया का एक छात्र घायल हुआ। हम गांधी के अहिंसक तरीके से लड़ेंगे। गांधी जी को महज दो जगह स्वच्छता के विज्ञापन और नोट पे महदूद कर दिया है। उन्होंने गांधी जी के एक पत्र का उल्लेख करते हुए नागरिकता और अल्पसंख्यक अधिकारों पर बात रखी।

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जामिया की ही छात्र नेता चंदा ने कहा कि यह देश महात्मा फुले, महात्मा गांधी, अंबेडकर के विचारों से चलेगा। उन्होंने अमित शाह और योगी आदित्यनाथ के वक्तव्यों पर कहा कि देश को बांटने की हर साजिश को बेनक़ाब करेंगे।

इससे पहले मध्यप्रदेश की NRC, CAA, NPR विरोधी कोऑर्डिनेशन कमेटी के सचिव मंडल के सदस्य विजय कुमार ने कार्यक्रम की भूमिका पर कहा कि भोपाल में भी शाहीन बाग बन गया है। जब सरकार हमसे नागरिकता पूछ रही है तो पहले ये सरकार अपनी वैधता साबित करे, क्योंकि जिस वोटर कार्ड से ये सरकार चुनी गई है, वो नागरिकता साबित नहीं करता, तो फिर सरकार भी अवैध है। उन्होंने कहा कि 10 दिसंबर से लगातार CAA, NRC, NPR के खिलाफ हम संघर्ष कर रहे हैं जो लगातार जारी रहेगा और प्रदेश के हर जिले में शाहीन बाग बनाया जाएगा। ये लड़ाई CAA, NRC, NPR के खिलाफ सीमित नहीं रहेगी।

कार्यक्रम की अध्यक्षता अनिल सदगोपाल, मेधा पाटकर, रिफाई साहब, आर्चबिशप लियो कार्डियोलीनो, कुमार अम्बुज और संध्या शैली ने की।

कार्यक्रम की शुरुआत में अशोकनगर की भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा), दिल्ली से आये जन संस्कृति मंच के कपिल शर्मा, नेहा व अन्य साथियों ने जनगीत से मंदी, बेरोजगारी और व्यवस्था की खामियों पर रोशनी डाली। कार्यक्रम का संचालन आशा मिश्रा और सत्यम पांडेय ने किया। कार्यक्रम को मेधा पाटकर, माधुरी, नीना शर्मा आदि ने भी संबोधित किया।

गांधी जी की शहादत पर मौन
कार्यक्रम के दौरान शाम 5.17 बजे सभा में मौजूद हजारों लोगों ने 2 मिनिट का मौन रखा। इसी वक्त पर 1948 में नाथूराम गोडसे ने राष्ट्रपिता बापू की गोली मारकर हत्या की थी। इससे पहले सचिन श्रीवास्तव ने केदारनाथ सिंह की कविता “दो मिनिट का मौन” का पाठ किया।

हम माफी नहीं मांगेंगे, लड़ाई जारी रखेंगे
जनसभा के दौरान सिवनी से आये छात्र नेता यीशु ने कहा कि सरकार कहती है कि हम एक इंच पीछे नहीं हटेंगे। हम कहते हैं एक मिलीमीटर भी मत हटिये हम गुजरात छोडकर आएंगे। हम माफी नहीं मांगेंगे, हम लड़ेंगे। आप याद रखिये कि ये देश संविधान से चलेगा नागपुर से नहीं।

प्रह्लाद बैरागी ने कहा कि मोदी सरकार ने 2014 में वादा किया था कि स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू करेंगे। लेकिन आज तक नहीं की। ये धोखेबाजों के चक्कर से और काले कानूनों से देश को बचाने के लिए संकल्प लें।

योगेश ने कहा कि सरकार जो कहती है कि ये एक धर्म या समुदाय की लड़ाई है तो वो देख ले यहां हर तरह के हर वर्ग के चेहरे हैं।

सत्याग्रह समिति के जावेद बैग ने कहा कि 10 दिसंबर को CAB की प्रतियां जलाकर भोपाल में इस लड़ाई का आगाज़ किया था। हमने अपना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को माना है तो हम उन्हीं की औलाद हैं, इसलिए इस देश के नागरिक भी हैं। हमे किसी को नागरिकता बताने की जरूरत नहीं।

आबिद ने कहा कि हम लड़ने वाली कौम हैं। जुल्म के खिलाफ हम लगातार लड़ते रहे हैं और आगे भी लड़ेंगे। CAA, NRC, NPR के खिलाफ हमारी लड़ाई लगातार चलती रहेगी। ये गांधी और गोड़से के विचारों के बीच लड़ाई है।

सबा ने कहा कि ये दूसरी आजादी की लड़ाई है। ये लड़ाई सिर्फ CAA, NRC, NPR की लड़ाई नहीं, बल्कि आदिवासी, दलित, मुसलमान की वो लड़ाई है जो 50 साल से हम खामोश थे। असम से शुरू हुई ये लड़ाई जामिया जेएनयू पहुंची तो उसे कुचलने की कोशिश हुई और अब ये पूरे देश की लड़ाई बन चुकी है।


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