अबरार अहमद खान, भोपाल (मप्र), NIT:
ग्यारह दिनों से भोपाल के इकबाल मैदान में जारी सत्याग्रह में शनिवार को भोपाल की कवित्रियों ने अपनी कविताओं का पाठ किया।
निगहत ने मोदी सरकार के जुमलों पर कविता से कटाक्ष किया। ऐश्वर्या ने अपनी कविता में स्त्री को संघर्षशील क्षमता का बयान किया। साथ ही, उन्होंने देश में जारी लगातार विभाजन पर भी टिप्पणी की – इबादत और पूजा में उतना ही अंतर है जितना मेरे और जुनैद के खून के रंग में।
सानिया ने पुलिस की हाल में दिखी बर्बरता पर रचना पढ़ी। निधि जोशी ने नौजवान कविता में देश के युवाओं पर जारी हमलों के बारे में चेताया। कश्मीर में हाल के सरकारी दमन के संदर्भ में उन्होंने कशमीर के बाहर रह रहे कश्मीरियों की बेबसी को भी उन्होंने बयान किया।
प्रतिभा ने /समय का दस्तावेज/ कविता में फरमाया – ये ऐसा समय है जहां लोगों की निष्ठाओं को हिंसा में बदल दिया गया है।
श्रुति ने अपनी कविता में आह्वान किया कि, उठो अभी दूर तलक जाना है, सियासत में मसखरों का काम इतना है कि उनको चाय से अंगूर तलक जाना है। लाए हैं कोई बिल जो मांगे है काग़ज़ात, चूहों को कुतरने का ख्वाब हुआ है।
आरती ने अपनी कविता /कल जो घटित होने वाला है मै वहीं सोचती हूं/ में समाज में बढ़ते विभाजन पर टिप्पणी की।
गीता ने अपनी कविता में फरमाया – आजाद है मेरा मन, गुलामी न सहनी किसी की। अब न कैद इंसान है और न कैद है उसकी इंकलाबी आवाज़।
नजिया ने अपनी कविता में कहा, गर्चे लब है तो बोलना सीखो, अपनी औकात तौलना सीखो।
प्रज्ञा ने अपनी कविता में यह बताया की सच और झूठ, न्याय और अन्याय के बीच में अगर चुप्पी चुनी तो मारे जाएंगे।
संध्या ने अपनी कविता उतरता हुआ जादू में कहा –
कर्फ्यू कविता में उन्होंने कहा – इस वाचाल समय में हर सच पर लगा दी जाएगी पाबंदी।
शहनाज़ इमरनी ने अपनी कविता स्थिति नियंत्रण में है का पाठ किया।
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