अबरार अहमद खान, भोपाल (मप्र), NIT:
इक़बाल मैदान में 1 जनवरी से जारी सत्याग्रह में शुक्रवार को वरिष्ठ कवि राजेश जोशी ने अपनी कविताओं का पाठ किया। उन्होंने कविताओं के जरिये मौजूदा सरकार की जनविरोधी नीतियों की आलोचना की।
उन्होंने “खिलजी की वापसी” कविता में कहा कि
“वक़्त बदल चुका है
यह नालंदा विश्वविद्यालय नहीं है
यहां छात्र खामोशी से सब कुछ बर्दाश्त नहीं करते
आईने तोड़ने से कुछ हासिल नहीं होगा बख्तियार खिलजी
अब तो जलाने से भी खत्म नहीं होती किताब”“तुम मूर्ख तो पहले से भी थे लेकिन अब
पहले से ज्यादा बदसूरत भी हो गए हो
बख्तियार खिलजी”
“भुलक्कड़ नागरिक का बयान” कविता में राजेश जोशी ने एक पंक्ति में कहा कि
तुम अगर मुझे नागरिक मानने से इनकार करते हो
तो मैं भी इंकार करता हूँ,
इनकार करता हूँ तुम्हें सरकार मानने से
मैं नागरिक हूं यह याद है मुझे,
लेकिन तुम सरकार हो यह मुझे याद नहीं।
इसके बाद श्रोताओं की मांग पर उन्होंने अपनी मशहूर कविता “मारे जाएंगे” का पाठ किया।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए युवा कवि लोकेश मालती प्रकाश ने कहा कि राजेश जोशी उस परंपरा और समूह के कवि हैं जिससे सरकार डरती है। उन्होंने साहित्य अकादमी पुरस्कार वापस किया था और पुरस्कार वापसी के जरिये विरोध की आवाज बुलंद की थी।
इससे पहले सत्याग्रह स्थल पर युवा रंगकर्मियों ने जनगीत गाये। इस दौरान फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की मशहूर और हाल ही में फिर चर्चा में आई नज्म “हम देखेंगे”, हबीब जालिब की नज़्म “दस्तूर”, दुष्यंत कुमार की “हो गई है पीर पर्वत सी” आदि गाई गईं।
4 जनवरी को इस सत्याग्रह में इंकलाबी मुशायरा होगा। इसमें मंजर भोपाली, विजय तिवारी, आरिफ़ अली, डॉक्टर मेहताब आलम, डॉक्टर यूनुस फरहत, जलाल मैकश, ज़फर सहबाई और ज़िया फारुखी शिरकत करेंगे।
गौरतलब है कि भोपाल के नागरिकों एवं विभिन्न संगठनों की और से CAA, NRC और NPR के खिलाफ सत्याग्रह शुरू किया गया है।
4 जनवरी को होगा इंकलाबी मुशायरा, शिरकत करेंगे मंजर भोपाली, विजय तिवारी समेत कई शायर।
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