नरेंद्र इंगले, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
पाकिस्तान, अफगानिस्थान, बांग्लादेश के धार्मिक अत्याचार पीड़ित निर्वासित हिंदु, बौद्ध, सिख, पारसी, ईसाईयों को नागरिकता देने के संबंध में भारत की लोकसभा और राज्यसभा में सरकार द्वारा पारित किए गए नागरिकता संशोधन कानून का कई जगहों पर स्वागत भी हो रहा है बावजुद इसके NAA के खिलाफ जनता में गलत जानकारी को प्रसारित कर भ्रम का माहौल पैदा करने वाले कथित संगठनों पर तत्काल कानूनी कार्रवाई की मांग करने वाला राष्ट्रपति के नाम का एक ज्ञापन राष्ट्रीय सुरक्षा मंच ने तहसीलदार को सौंपा है। ! निवेदन में बताया गया है कि इस कानून का जामनेर तहसील के सभी तबकों के सभी लोगों ने स्वागत भी किया है। अब इसके विषय में कोई जनमत संग्रह किया गया कि नहीं इसकी आधिकारिक जानकारी नहीं दी गयी है।
ज्ञात हो कि निजी मंगल भवन से निकले गए इस मोर्चा में ABVP के स्कूली छात्रों समेत भाजपा के उन तमाम पदाधिकारियों ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया जो राज्य में भाजपा की सरकार रहते बीते पांच सालों में जनसमस्याओं को लेकर भुमिगत थे या ऐसा भी कह सकते है कि सूबे में सत्ता गंवाने के बाद भाजपाईयो के लिए CAA सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है। वैसे यह बात अलग है कि आज के भारत में राष्ट्रभक्ती की संवैधानिक पाठशाला में पढ़ने वाले बाकी लोग वामपंथी कहलाते हैं या फिर राष्ट्रद्रोही। अब NRC लागु हो गया तो इसे समर्थन करने वालों को भी अपनी पहचान स्पष्ट करानी होगी। CAA में निर्वासितों को इन्हीं समर्थकों में से कोई दिल से स्वीकारेगा इसकी कोई गुंजाइश नहीं है क्योंकी वर्तमान भारत के समाज में इतना उदारवाद औऱ इकोनॉमी में इतना फीलगुड तो नहीं है कि सभी निर्वासित यहां खुशीखुशी अपनाए जा सकते हैं। वाकयी इस तरह की कमाल की सुंदरता केवल लोकतांत्रिक भारत में ही देखी जा सकती है जहां सरकार के समर्थकों (भक्तों) को किसी भी संविधान प्रेमी भारतीय को असामाजिक कहने के साथ हिंसा के लिए जिम्मेदार आरोपी बताए जाने का अधिकार प्राप्त है औऱ सरकार के बिल की मुखालफत करने वाले भारतीयों को असामाजिक तक करार दिया जाता है। प्रत्येक नागरिक को इस समर्थन वाले आंदोलन की समीक्षा करना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि अगर NRC लागु हो गया तो इसके प्रक्रिया से कोई भी नागरिक अछूता नहीं रहेगा, हर किसी को दस्तावेजों के साथ अपनी नागरिकता को प्रमाणित करना होगा। अपने ही देश भारत में पैदा हुए बाशिंदों को नोटबन्दी की तरह देशबन्दी से बचने के लिए लाइनों मे खड़ा होना पड़ेगा। बहरहाल आज के समर्थन वाले इस आंदोलन के दौरान हमेशा कूल नजर आने वाली पुलिस काफी मुश्तैद दिखाई पड़ी। इस आंदोलन में भाजपा के सभी पदाधिकारी अपना पार्टी कर्तव्य निभाने के लिए जिम्मेदारी के साथ हाजिर रहे लेकिन दुर्भाग्य से नेताजी कहीं नजर नहीं आए।
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