सरकार की लफ्फाज़ियों और उस पर आपकी तालियों ने देश को क्या दिया? | New India Times

Edited by Arshad Aabdi, NIT:

लेखक: सैय्यद शहंशाह हैदर आब्दी

सरकार की लफ्फाज़ियों और उस पर आपकी तालियों ने देश को क्या दिया? | New India Times

सरकार की लफ्फाज़ियों और उसपर आपकी तालियों ने देश को क्या दिया? सोचिए गम्भीरता से सोचिए, ऐसी सोच देने के लिये भाई सैयद जावेद अनवर आब्दी रायपुर छत्तीसगढ़ को दिल से शुक्रिया अदा करने के बाद, कहना चाहूंगा कि सरकार के किसी भी निर्णय पर ताली बजाने से पहले सोच लिया करिये कि पहले भी जब आपने ताली बजाई थी तो देश को मिला क्या था..? अब क्या मिलने जा रहा है…??

सरकार की लफ्फाज़ियों और उस पर आपकी तालियों ने देश को क्या दिया? | New India Times

हिन्दू-मुसलमान की अंतहीन बहस राजनेताओं को सत्ता तो दिला सकती है किंतु क्या ये बहस आपको और आपके बच्चों को एक अच्छा भविष्य दे पाएगी.? रोटी, कपड़ा, मकान और रोज़गार दे पायेगी..?? मंहगाई और भ्रष्टाचार कम कर पायेगी…???

सरकार ठीक कर रही है, अगर इसका पैमाना आप सिर्फ चुनाव में जीत को ही मानते हो तो आपको चिंतन की भी आवश्यकता है और अपनी विवेकशीलता की परिमार्जित करने की भी…!!! झारखंड के नतीजों से सबक़ लेने की भी….!!!!

हम आपसे विनम्रता के साथ कुछ प्रश्न करते हैं…अगर आप समुचित जवाब देने योग्य हों तो स्वागत है…

1. आपने पहली बार ताली नोटबन्दी के निर्णय पर बजाई थी! उससे देश को क्या मिला सिवाय अर्थव्यवस्था के विनाश के..? सारा पैसा बैंकों में वापस आ गया, नकली नोट भी फिर से आने लगे, विदेशों में काला धन भी बढ़ गया…! ख़ज़ाने में कई हज़ार करोड़ का भार बढ़ा वो अलग..!

2. दूसरी बार आपने ताली बजाई जब आधी रात को घण्टा बजाकर देश में GST लादा गया। कहा गया कि इससे देश को कई हज़ार करोड़ की अतिरिक्त आय होगी, काले धंधे और अवैध व्यापार बन्द हो जाएंगें, वो हुए क्या..?? और अगर ऐसा हुआ तो सरकार को ख़ाली होते ख़ज़ाने के कारण रिज़र्व बैंक का सुरक्षित कोष क्यों निकालना पड़ा..??

3. तीसरी बार ताली आपने NRC के लिए बजाई। भारतीय नागरिकता रजिस्टर को बनाने में सरकार ने क़रीब 1600 करोड़ ख़र्च कर दिए लेकिन जब रजिस्टर सामने आया तो 19 लाख लोगों की नागरिकता पर संकट था, उन 19 लाख लोगों में से परमवीर चक्र विजेताओं से लेकर ग्यारह बार सांसद रहे लोगों का परिवार भी था। उन 19 लाख लोगों में 16 लाख हिन्दू थे जिन्हें अब देश से बाहर जाना था। मतलब साफ था कि NRC बनाने में भारी ग़लतियाँ हुईं और NRC फेल हो गई और सिर्फ बाहरी मुसलमानों को निकालने की चाल असफल हो गई और
सरकारी ख़ज़ाने का 1600 करोड़ पानी में चला गया।

4. चौथी बार ताली अब आप आज बजा रहे हो, जब CAB यानी नागरिकता संशोधन विधेयक पास हो रहा है। क्या आप जानते हो कि CAB है क्या..??
क्या आप जानते हैं कि CAB सिर्फ NRC के असफल होने की वजह से उसकी ग़लतियों को छिपाने का एक ज़रिया है..?

सरकार की लफ्फाज़ियों और उस पर आपकी तालियों ने देश को क्या दिया? | New India Times

क्या आप जानते हैं कि अगर पूरे देश में NRC लागू की गई तो सरकार का कई हज़ार करोड़ ख़र्च होगा और वो धन इतना होगा जितने में हम पूरे देश की स्वास्थ्य एवं शिक्षा सुविधाओं को कई गुना बेहतर बना सकते हैं..?
क्या आप जानते हैं कि NRC में आपको भी अपनी पहचान बताने लाइन में लगकर ये साबित करना होगा कि आप हिंदुस्तानी हैं..??

कुछ हिंदू भाई ये सोच रहे हैं NRC में उनका नाम नहीं भी आएगा तो उनको बाद में नागरिकता मिल जाएगी। कितनी अजीब बात है? अगर ऐसा हुआ तो सबसे पहले उस हिंदू भाई को उसकी पूरी प्रोपर्टी से सरकार बेदख़ल करेगी।पहले उसको कंगाल बनाएगी, इस कंगाली को देख बेचारा वो हिंदू भाई जो असल में हिंदुस्तानी है उसको मजबूरन नागरिकता लेने के लिए पहले शरणार्थी कहलावाना पड़ेगा फिर उसको झूठ बोलना पड़ेगा कि वो बाहर से आया है जो कितनी शर्म की बात होगी, फिर उसको सरकार नागरिकता देगी। अब तो उसके पास ना घर रहा ना ज़मीन अब जाओ भीख मांगों कमाओ खाओ ज़िल्लत भारी ज़िन्दगी जिओ।

हो गया हिंदू राष्ट्र, जय श्री राम।

इस CAA, NRC के चपेट में हिंदुस्तान का ग़रीब, मज़दूर, अनपढ़, बंजारा इत्यादि सभी वर्ग के लोग आऐंगे जिनके घर हर साल बाढ़ में बह जाते हों उनसे पूछना वो कैसे साबित करेंगे कि वो इसी देश के नागरिक हैं?

नादानो उठो और संविधान को बचाव
CAA-NRC का खुल कर विरोध करो

वर्ना पाकिस्तानीयों, बांग्लादेशीयों, अफगानिस्तानीयों को नागरिक बनाने के चक्कर में इस कानून के बाद अपनी विरासत गवां बैठोगे।

और सबसे बड़ी बात इससे देश को मिलेगा क्या..??सिवाय हिंसा, नफरत, साम्प्रदायिक वैमनस्यता के..?

क्या सरकार इतनी मेहनत देश के युवाओं को रोज़गार देने, देश के सरकारी स्कूलों में गुणवत्ता बेहतर करने, अस्पतालों को सुधारने के लिए, आमजन से सम्बंधित अन्य मुद्दों को सुलझाने में नहीं कर सकती..??

दरअसल आपको मुद्दे ही ऐसे पसंद हैं जिनमें हिन्दू मुसलमान हों, जिनमें मंदिर-मस्जिद हो, जिनमें भारत और पाकिस्तान हो, जिसमें गाय और गोबर हो..!!

काश… आप अपनी प्राथमिकताएं और मुद्दे बदल पाते…??

सैय्यद शहंशाह हैदर आब्दी, समाजवादी चिंतक, झांसी।


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