वी.के.त्रिवेदी, लखीमपुर-खीरी (यूपी), NIT:
मोहम्मदी नगर में लगभग सारे तालाब पट चुके हैं, नगर से लेकर गांवों तक में तालाबों का अस्तित्व खत्म होता जा रहा है। प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से तहसील प्रशासन, ग्राम प्रधान एवं नगर पालिका को तालाबों का मालिक समझा जाता है फिर भी भू-माफियाओं के द्वारा तालाबों पर अवैध कब्जे बेखौफ होकर किये जा रहे हैं और जिम्मेदार आंखें मूंदे देख रहे हैं।
नगर के अधिकाश तालाबों पर भू-माफियाओं द्वारा अवैध कब्जा कर प्लाटिंग कर दी गई है। गांवों में तालाबों को खेत का रूप देकर खेती की जा रही है। शंकरपुर राजा गांव इसकी जीता-जागता सबूत है। तहसील प्रशासन पर जब ऊपर से दवाब पड़ता तो ‘‘श्रावस्ती माडल’’ का हवाला देकर ग्राम समाज भूमि के छोटे-छोटे एवं गैर असरदार अवैध कब्जेदारों पर कार्यवाही कर भूमि मुक्त करा लिया जाता है लेकिन न बड़े भू-माफियाओ की ओर देखा जाता है और भी न ही तालाबों के अवैध कब्जों पर ही नज़र जाती।
तहसील की नाक के नीचे ग्राम शंकरपुर राजा में विशालकाय लगभग 6 एकड़ रकबा वाले तालाब पर भू-माफियाओं के द्वारा अवैध कब्जा कर उसे समतल कर तालाब को खेत का रूप का दे दिया गया और उस पर वर्षो से खेती की जा रही है। अवैध कब्जेदार इतना असरदार है कि ग्रामसभा की भूसम्पत्ति, लेखपाल, कानूनगो ही नहीं ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत संदस्य, तहसीलदार तक उधर देखने एवं टोकने की जैसे हिम्मत नहीं रखते, सम्भवता उनके ‘‘असरदार’’ होने का ही ये परिणाम है कि वो वर्षो से तालाब का अस्तित्व खत्म कर खेती कर आर्थिक लाभ अर्जित कर रहा है। शंकरपुर राजा की भाति लगभग 99 प्रतिशत गांवों की यही स्थिति है। तहसील क्षेत्र के हर गांव में दो, तीन, चार छोटे-बड़े तालाब है। किसी-किसी गांव में इससे ज्यादा संख्या है लेकिन 90 प्रतिशत तालाबों पर अवैध कब्जे हैं तथा तालाबों का स्वरूप ही बदल दिया गया है। ग्राम बौधी खुर्द में एक तालाब हाईवे किनारे उत्तर था जिसके अधिकांश भाग पर प्रधान रहे व्यक्ति ने ही कब्जा कर मकान एवं दुकानें बनवा ली हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री रही मायावती शासन काल में तालाबों के अस्तित्व को बचाने के लिये हर गांव में एक तालाब को ‘‘माडल तालाब’’ के रूप में विकसित कराया गया था। इन माडल तालाबों के रख-रखाव एवं सौन्दरीकरण की जिम्मेदारी ग्राम प्रधान की थी। जब तक प्रदेश में बसपा का शासन रहा तब तक ये ‘‘माडल तालाब’’ सुरक्षित एवं जीवित से रहे माया युग खत्म होते ही इन तालाबों जिनकी सुध बराबर विकास विभाग एवं राजस्व विभाग भी रखता था ने भी आंखें फेर ली। आज गांवों में ये माडल तालाब जिनको पार्क के रूप में विकसित करने के लिये लाखों रूपयाओ खर्च किया गया था आज उनको ढूंढ़ना भी मुश्किल है। इन तालाबोऊ पर इण्डिया मार्का एवं नलकूपो की हुई बोरिंग भी नहीं रही। बैठने वाली सीमेन्ट की बेंचे लापता हो गयी, लोहे के गेट व बाउन्ड्री वाल पर लगे लोहे के एंगल एवं कटीले तार भी गायब हो गये। यही नहीं पेड़-पौधे भी लोग काट ले गये। माडल तालाबों का अस्तित्व ही खत्म हो गया।
मोहम्मदी जैसे नगर के एक दर्जन से अधिक तालाबों का अस्तित्व खत्म हो गया। भू-माफियाओं ने उन पर कब्जे कर प्लाटिंग कर तालाब भूमि बेंच दी। शिकायते हुई लेकिन नगर पालिका एवं तहसील प्रशासन इन अवैध कब्जेदार भू-माफियाओ के विरूद्ध कोई कार्यवाही करने की हिम्मत तक नहीं जुटा सके और तालाबो पर पक्के मकान, काठिया बनती चली गयी चाहे तो आज भी प्रशासन बाजार गंज मोहल्ला ही स्वयं देख सकते है।
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