ग्लोबल कॉन्क्लेव एवं अवार्ड सेरेमनी 2019 का हुआ आयोजन | New India Times

संदीप शुक्ला, ब्यूरो चीफ, ग्वालियर (मप्र), NIT:

ग्लोबल कॉन्क्लेव एवं अवार्ड सेरेमनी 2019 का हुआ आयोजन | New India Times

भारतीय संविधान की 70वीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या के अवसर पर गोपाल किरन समाज सेवी संस्था ग्वालियर के तत्वावधान में 24-25 नवम्बर 2019 को ग्वालियर स्थित होटल डाउन टाउन में दो दिवसीय ग्लोबल कॉन्क्लेव का शानदार आयोजन किया गया।

ग्लोबल कॉन्क्लेव एवं अवार्ड सेरेमनी 2019 का हुआ आयोजन | New India Times

कार्यक्रम में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक के बुद्धिजीवियों, साहित्यकारों, कलाकारों, गीतकारों, कवियों, लेखकों, पत्रकारों, पर्यावरण, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता के क्षेत्र से समाज सेवियों और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों के अलावा विदेशों से जापान, फिजी, अमेरिका सहित अनेक देशों के समाजसेवी व साहित्यकारों ने गरिमामयी उपस्थिति दर्ज की।
ग्वालियर स्थित होटल डाउन टाउन में 24 नवम्बर 2019 को गोपाल किरन समाज सेवी संस्था ग्वालियर (मध्यप्रदेश) के तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय ग्लोबल कॉन्क्लेव का विधिवत उद्घाटन अशोक गोयल (DIG, चम्बल रेंज) सहित अतिथियों द्वारा तथागत भगवान बुद्ध व सिम्बल ऑफ़ नाॅलेज संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर के छायाचित्र हॉल में लगाया गए चित्र के महत्व पर बताया तथा अतिथियों द्वारा माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलित कर किया गया।

उसके बाद फोर्ट इंटरनेशनल स्कूल के बच्चों ने बुद्ध वंदना, भीम वंदना व स्वागत गीत सुमधुर वाणी में प्रस्तुति दी।

ग्लोबल कॉन्क्लेव एवं अवार्ड सेरेमनी 2019 का हुआ आयोजन | New India Times

कार्यक्रम में अशोक गोयल (DIG, चम्बल रेंज), प्रोफेसर कामराज सिन्धु (कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय), कपिल कुमार (बेल्जियम), रमा शर्मा (टोकियो,जापान), शरण घई (कनाडा), श्रीप्रकाश सिंह निमराजे (कार्यक्रम समन्वयक एवं अध्यक्ष, गोपाल किरन समाज सेवी संस्था), स्वेता दत्त चौधरी (फिजी) व अहसानुल्लाह पाशा (USA) आदि ने संबोधित किया।

बोधिसत्व बाबा साहब डॉ. बीआर अम्बेडकर के आदर्शों का गुणगान किया और शिक्षा के कई पहलुओं पर प्रतिभागियों का ध्यान आकृष्ट किया।

दो दिवसीय ग्लोबल कॉन्क्लेव के पांच तकनीकी सत्र रखे गये, जिसमें पहले दिन 24 नवम्बर 2019 को तीन सत्र निर्धारित किये गए थे। प्रथम सत्र में वंचित वर्ग के खिलाफ सामाजिक भेदभाव और उसके समाधान विषय पर मुख्य वक्ता प्रोफसर प्रवीण गौतम, इंजी. आर. एस. वर्मा (CPWD पूना), एम.एल. गंगुरे, विपिन कुमार भारती, अहसानुल्लाह पाशा व अन्य वक्ताओं ने विषय के विभिन्न पहलुओं से प्रतिभागियों को अवगत कराया।

लंच के बाद दूसरे तकनीकी सत्र में 21 वीं सदी में महिलाओं और पुरुषों के बीच विभिन्न मुद्दों की मुख्य बाधाएं विषय पर मुख्यवक्ता डॉ० अंजलि जलज, हरप्रीत कौर, डॉ० शिरालीरुनवाल , डॉ० अनुभा सिंह, स्वेता दत चौधरी, राही रियाजी (कश्मीर) व अन्य वक्ताओं ने कहा कि जागरूकता ही इसका एकमात्र उपाय है । वक्त के साथ बदलाव आ रहे हैं, लेकिन सोच में बड़ा बदलाव लाना अभी भी बहुत जरूरी है। जहां लोग जागरूक हुए हैं, वहां सामाजिक-आर्थिक विकास में महिलाओं के प्रति पुरुषों के रुख में बड़ा बदलाव भी आया है, तभी हम महिलाओं के लिए सुरक्षित समाज बना पाएंगे।
चाय के बाद तीसरे तकनीकी सत्र में मीडिया समुदाय के प्रति पारदर्शी भूमिका क्यों नहीं निभाता विषय पर मुख्यवक्ता प्रो. संदीप कुलश्रेष्ठ, हरप्रीत कौर, स्वेता दत्त चौधरी सहित कई वक्ताओ ने चर्चा के दौरान अपने विचार व्यक्त करते हुए मीडिया के मालिक व्यवसायिक घराने के होने पर चिंता जाहिर की और कहा कि जिसके नकारात्मक परिणाम हर रोज हमारे सामने आ रहे हैं। आम आदमी या फिर समाज के निचले तबक़े की खबर उजागर ही नहीं होती। लोकतंत्र में मीडिया को स्वतंत्र रूप से अपनी ऐतिहासिक जिम्मेदारी निभाने के लिए आगे आना होगा। इसके अलावा स्वास्थ्य पर डॉ.नरेश “सागर” की पांच सदस्यी टीम ने हेल्थ पर डेमो दिया।
संगोष्ठी के दूसरे दिन 25 नवम्बर को ब्रेक फ़ास्ट के बाद चौथे तकनीकी सत्र में पहले दिन के तीन सत्र पर रिपोर्ट व समीक्षा हुई उसके बाद दलित जाति के साहित्य को महत्व क्यों नहीं दिया जाता, विषय पर मुख्यवक्ता चंद्रभान एडवोकेट, आर.एन. मित्तल, राधा वाल्मीकि, राही रियाज सहित कई वक्ताओं ने प्रतिभागियों का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि कोई भी साहित्य समाज में हो रहे परिवर्तन का साक्षी होता है, लेकिन वर्णवाद के चलते प्राचीनकाल से लेकर आज तक दलित जाति के साहित्य को कोई महत्व नहीं दिया क्योंकि दलित साहित्य सामंतवादी ढांचे को तोड़ता है। सामाजिक और राजनीतिक सत्ता के विविधवर्णी उत्पीड़न दमन के रूपों की मुखर और स्पष्ट आलोचना प्रस्तुत करता है। दलित साहित्य में वर्ण व्यवस्था के परिवर्तन का हर विचार दलित मुक्ति में सहायक है।
चाय के बाद पांचवें तकनीकी सत्र में दलित समुदाय पर निजीकरण का क्या प्रभाव है और वर्तमान परिदृश्य क्या है भविष्य के रोजगार के बारे में विषय पर मुख्यवक्ता आर.एन. मित्तल, आर.बी. वर्मा (मौसम विभाग), विपिन कुमार भारतीय द्वारा निजीकरण के प्रभावों पर गहन-मंथन हुआ। वक्ताओ ने दलितों के सामाजिक-आर्थिक अधिकारों से संवैधानिक अधिकारों के प्रति सजग किया।
श्रीप्रकाश सिंह निमराजे ने बताया कि कार्यक्रम का उद्देश्य सामाजिक मुद्दों पर समझ बनाना है। बेहतर कला को प्रोत्साहन/सम्मान देने के साथ ही राष्ट्र विकास में अनुशासन व सबको साथ लेकर चलना और मैत्री/भाईचारा प्रमुख है। कार्यक्रम में मंच संचालन प्रसिद्द गायिका जया श्रीवास्तव ने किया।

दो दिवसीय ग्लोबल कॉन्क्लेव में दिल्ली से हरजीत कौर, रघुवीर सिंह गाड़ेगांवलिया (संपादक), खुशहाल चन्द बडोलिया (समाजसेवी व पत्रकार), जसवंत सिंह जन्मेजय, यवतमाल महाराष्ट्र से मेजर वी. आर. जाधव, राजस्थान के भीलवाड़ा से सुनिता खोखर, अलवर से राम भरोसे मीणा, चुरू से गणेश दास स्वामी,पंजाब से कुलदीप चन्द, जँहारा, नवजीत सिंह, डॉक्टर अनुभा सिंह, हरप्रीत कौर, इंजीनियर माधव प्रसाद, सुनीता गौतम, डॉक्टर अरविंद रूनवाल, शिवराज सिंह, डॉक्टर प्रिया सिंह, युवराज खरे, ओमवती सहित अनेक समाजसेवी, शोधार्थी, साहित्यका, मीडिया की उपस्थिति गरिमामयी रही तथा विदेशों और देश के सभी हिस्सों से आये समाजसेवियों का स्वागत किया गया। न्यू इंडिया टाइम्स न्यूज़ के ब्यूरो चीफ और दैनिक ग्वालियर किरण अखबार के स्टेट क्राइम हेड संदीप शुक्ला का भी स्वागत किया गया।

इस कार्यक्रम में ट्रैफिक सेन्स फाउंडेशन हैदराबाद, महिला एवं बाल विकास विभाग, सास वेल्फेयर फाउंडेशन, अंतरा शब्द शक्ति सहयोगी रहे।


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By nit

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