नरेंद्र इंगले, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
जलगांव जिले के सातपुडा पहाड़ियों के तलहटी में यावल तहसील स्थित आदिवासी इलाके के किनगांव प्राथमिक स्वास्थ केंद्र की हालत ठीक उसी तरह है जैसे सूबे के विभिन्न स्वास्थ केंद्रों की है। जर्जर इमारत, संसाधनों का अभाव, तकनीक की कमी वगैरा वगैरा। जनकल्याण में जुटी सरकार स्वास्थ सेवा की बेहतरी को लेकर क्या कुछ नहीं कर रही है इसके बारे में अलग से बताने की आवश्यकता इस लिए नहीं है क्योंकि सरकार की ओर से बहुत कुछ हो तो रहा है। अखबारों में विज्ञापनों पर करोड़ों खर्चा कर प्रोपेगंडा फैलाया जा रहा है। कहीं एम्स के श्रेय को लेकर उत्तरी भारत में सरकार के मंत्री ही अपना स्तर खोते दिखाई पड़ रहे हैं तो वहीं एक ओर बुनियादी स्वास्थ सेवा की खस्ताहालत की जिम्मेदारी लेने को कोई राजी नहीं है। इसी विपरीतता के बीच प्रशासन के मुखिया अगर चाहें तो यथास्थित में वाकई क्या नहीं हो सकता, इसी बात को साबित कर दिखाया है किनगांव स्वास्थ केंद्र की संचालिका डॉ मनीषा महाजन ने। इन्होंने किनगांव के इस स्वास्थ केंद्र का आपरेशन विंग 14 महीनों के बाद खुला औऱ परिवार नियोजन की 43 सफल सर्जरियों को अंजाम दिया गया जो वाकई हैरानी वाली बात है। आदिवासी इलाके के किसी स्वास्थ केंद्र में प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच इस तरह का सफलता भरा बदलाव आना किसी चमत्कार से कम नहीं है। कुछ महीनों पहले इस केंद्र का पदभार संभालने वाली डॉ महाजन ने 14 महीनों से अधिक समय से बंद पड़े आपरेशन थीएटर में सभी तकनीकी संसाधनों की कमी को पाटना शुरू किया। जिला सार्वजनिक अस्पताल के आला अधिकारियों से समन्वय बनाकर परिवार नियोजन शिविर का आयोजन कराया। किनगांव के ऑपरेशन कक्ष में 23 और नावी ग्रामीण अस्पताल मे 19 (नान टेंचेस) इस तरह कुल 43 महिला मरीजों की परिवार नियोजन की सर्जरी को सफलतापुर्वक पूरा किया गया। इस शिविर के लिए जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ दिलीप पाटोदे, तहसील स्वास्थ अधिकारी हेमंत बरहाटे, मरीज कल्याण समिति की अरुणा पाटिल, सरपंच टीकाराम चौधरी, इन महानुभावों ने योगदान दिया। शिविर में डॉ मनीषा महाजन की अगवानी में डॉ सागर वारके, यू ए पाटिल, नीलेश पाटिल, जे के सोनावणे, डी पी तायड़े, के जी इंगले, के आर सूर्यवंशी, एम एन सोनावणे, संजय तड़वी, कुर्बान तड़वी, सुरेखा माली समेत कर्मियों ने परिश्रम किये।