साबिर खान/विनोद दीक्षित, मथुरा/लखनऊ (यूपी), NIT:
कौन कहता कि पुलिस कठोर दिल होती है और उसमें इंसानियत नहीं होती। जी नहीं, जैसे हाथ की पांचों उंगलियां बराबर नहीं होतीं उसी तरह पुलिस महकमे में भी सभी एक जैसे नहीं होते हैं। पुलिस विभाग में कुछ ऐसे भी अधिकारी हैं जिनके दिल में इंसानियत का वास है जिसका जीता जागता उदाहरण बीते रविवार शाम को देखने को मिला।
अचानक वीआईपी ड्यूटी की सूचना पर एसएचओ वृन्दावन संजीव कुमार दुबे मय हमराह थाने से निकलकर सीएफसी चौराहे होते हुये बांके बिहारी मंदिर जा रहे थे,
समय का अभाव था, वीआईपी के आने का समय नजदीक था। सीएफसी चौराहे के निकट एसएचओ की निगाह यकायक दो दिव्यांगों पर पड़ी तो उन्होंने फौरन ड्राइवर को गाड़ी रोकने का संकेत दिया। गाड़ी रुकते ही वह दिव्यांगों के समीप पहुंचे। हमराह हतप्रभ थे, कुछ समझ ही नहीं पाये कि आखिर हुआ क्या।
थाना प्रभारी ने जब दिव्यांगों से पूछा कहाँ जाना है, तब जानकारी हुई कि दोनों दिव्यांग शाहजी मन्दिर जाना चाहते हैं लेकिन कोई रिक्शा चालक उन्हें ले जाने को तैयार नहीं हो रहा। संजीव कुमार दुबे ने दिव्यागों को पकड़कर पहले रोड पार करवाया फिर एक ई- रिक्शा रुकवाकर दोनों को बैठाया और जेब से पर्स निकालकर चालक को उसका मेहनताना देकर कहा कि इन्हें शाहजी मन्दिर छोड़ देना।
ओवर आल कहें तो संजीव कुमार दुबे को वीआईपी ड्यूटी से अधिक दिव्यांगों की सेवा ज्यादा अहम लगी और उन्होंने सेवा कर आनन्द की अनुभूति की। इसके बाद वह मन्दिर पहुंचे और वीआईपी को दर्शन करवाकर अपनी ड्यूटी पूरी की।
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