वाह रे क़ानून... विभागीय भ्रष्टाचार पर पर्दा और दूसरे वाहनों का चालान! कानून की धज्जियां उड़ाने वाले भ्रष्ट व लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कब होगी कार्रवाई??? | New India Times

फराज़ अंसारी, ब्यूरो चीफ, बहराइच (यूपी), NIT:

वाह रे क़ानून... विभागीय भ्रष्टाचार पर पर्दा और दूसरे वाहनों का चालान! कानून की धज्जियां उड़ाने वाले भ्रष्ट व लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कब होगी कार्रवाई??? | New India Times

ट्रैफिक रूल्स के अनुपालन में केंद्र सरकार द्वारा देश के प्रदेशों में भले ही एक बड़ा बदलाव लाने का प्रयास किया गया हो लेकिन जिले में बढ़ रहे अतिक्रमण, यातायात दुर्घटना व सड़क हादसों के बीच पुलिस के नाक के नीचे फर्जी स्टैंडों के सहारे यमराज की तरह मुंह बाए सड़कों पर फर्राटा भर रहे फर्जी वाहनों की अनदेखी आखिर कब तक की जाती रहेगी? जिला प्रशाशन, क़ानून व हमारी सरकार द्वारा आखिर कब तक दो नावों पर सवार होकर दोहरा क़ानून चलाया जाता रहेगा?

आपको बताते चलें कि जिले में अतिक्रमण व यातायात की विभीषिका के बीच जहां पिछले कई वर्षों से जिले वासियों को पूरी तरह से निजात नहीं मिल पा रहा है वहीँ लगातार कानून की डींगे मारने वालों के रहमों करम पर ही ऐसी समस्याएं फलते फूलते नजर आ रहे हैं। अतिक्रमण व यातायात की समस्या की जड़ों में एक ओर जहां यहां की अवैध टैक्सी स्टैंड/जीप स्टैंड का लक्ष्मी के सहारे दौड़ाये जाने के बाद भी छोटो पर गाज गिराने वाले कानून के रखवालों को लगातार अंधों की ही भूमिका में देखा जाता रहा है वहीं रोडवेज सहित कई अन्य क्षेत्रों में जिला प्रशासन द्वारा अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाकर ढाबलिया,दुकानें व छप्पर आदि ढहाकर दुरुस्त यातायात व्यवस्था का डंका पीटा जाता रहा है।हाल यह है कि नगर में ही जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक व तमाम अधिकारियों की आमद होने के बाद भी तमाम थाने व कोतवाली के बीच अवैध वाहनों के सहारे लोगों की जिंदगियों से खेलने वालों को चंद रुपयों के लालच में क़ानून की चादर से ढककर क़ानून के रखवालों द्वारा ही उसे पाला पोसा जा रहा है। यही नहीं बल्कि पिछले कई वर्षों से अवैध टैक्सी स्टैंड के सहारे डग्गामार बसें भी क़ानून के रखवालों के दम पर ही दौड़ाये जाने के बाद भी क्या मजाल कि पुलिस या संभागीय परिवहन विभाग का कोई जिम्मेदार चू भी कर दे।जबकि किसी की बसे पर्यटन, किसी की तीर्थ यात्रा तो किसी की कोई भी फर्जी बोर्ड लगाकर टी0आई0,थाना व कोतवाली के दम पर ही चलाई जा रही हैं।मानो खाकी और खद्दर का जिले में कोई वजूद ही न रह गया हो। हाल यह है कि जीप व मार्शल वाले कटी चौराहे, रेलवे स्टेशन,माल गोदाम रॉड, अग्रसेन चौक व अस्पताल चौराहा तक जिले के अपंग कानून को अपनी बपौती समझते हुए किस्मत के सहारे चल रही जिंदगियों को अपने-अपने अवैध वाहनों में कैद कर उन्हें मंजिल तक पहुंचाने का दावा करते नहीं थकते। और इन्हीं सबके बीच पुलिस व संभागीय परिवहन विभाग पर नोटों की बरसात करने वाले प्राइवेट बस संचालकों द्वारा पुलिस के सहयोग से समय-समय पर बड़ी ही चालाकी से अवैध बसों को रोडवेज के सामने व संघारन तिराहे के पासव शहर में अन्य बीबी विभिन्न जगह खुकेआम लाकर खड़ा कर दिया जाता है और बस में गोंडा की सवारी भरते ही वहां से गोंडा के लिए भाग लिया जाता है।जो सफर गोंडा में पुलिस चौकी व रोडवेज के बगल स्थित एक पेट्रोल पंप पर ही जाकर थमती है। सूत्र बताते हैं कि गोंडा के उक्त पेट्रोल पम्प से मदन पांडे, कक्कू सिंह,गोरखनाथ सिंह,प्रमोद व लखपत सहित दर्जनों बस मालिकों की बसें अवैध रूप से गोंडा व बहराइच के बीच दिनभर कई क्रमों में बारी-बारी से दौड़ाये जाते हैं।बावजूद जिले से लेकर विधानसभा और विधान सभा से लेकर लोकसभा तक कोई यह पूंछने वाला नहीं है कि अभी तक क़ानून का माखौल किसके संरक्षण में पाला पोसा जा रहा था?क्या क़ानून लागू करने से पहले सरकारी रुपयों का दोहन करने वाले सरकारी जिम्मेदारों को कठोर से कठोर दंड नहीं देना चाहिए?और अगर सरकार को किसी के जान की इतनी ही परवाह है तो क्या क़ानून लागू करने से पहले जानलेवा दारु,शराब व तंबाकू को पूरे देश में प्रतिबंधित नहीं करवान चाहिए?लेकिन विडम्बना देखिये ऐसे जान लेवा चीजों के प्रचार-प्रसार पर करोड़ो अरबो रूपये खर्च किये जा रहे हैं।जिसका सही जवाब न तो सरकार के पास है,न पुलिस के पास है,न ही नगर पालिका के पास और न ही भ्रष्ट संभागीय परिवहन विभाग के अधिकारियों के पास ही है।उक्त के सन्दर्भ में जब एआरटीओ बहराइच से बात की गई तो उनके द्वारा वही पुराना रटा-रटाया घिसा पिटा जवाब दिया गया कि मामला मेरे संज्ञान में नहीं है मामला संज्ञान में आते ही कार्यवाही की जाएगी।वाह रे क़ानून... विभागीय भ्रष्टाचार पर पर्दा और दूसरे वाहनों का चालान! कानून की धज्जियां उड़ाने वाले भ्रष्ट व लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कब होगी कार्रवाई??? | New India Times

जब दिन के उजाले में उन्हीं के वरदहस्त में खुलेआम हो रहे अपराध का संज्ञान उन्हें नहीं है तो क्या यातायात पर नए कानून लागू करने वाली सरकार को ऐसे गैर जिम्मेदार अधिकारी को टर्मनेट नहीं करवाना चाहिए? क्या उसकी जद में आ रहे थाना/कोतवाली के पुलिस अधिकारियों पर बड़ी कार्यवाही नहीं करनी चाहिए? जबकि उक्त वाहन कर्ताओं द्वारा अपराध की छाती पर चलकर खुलेआम कानून को रौंदने के बावजूद जिम्मेदारों का चुप रहना हो रहे अपराध में इनकी भी संलिप्तता की ओर सीधा इशारा करती नजर आ रही हैं।उक्त के सन्दर्भ में जब मेरी टीम द्वारा टी0आई0 अनिल तिवारी से बात की गई तो कहा अभी मैं जल्दी ही यहाँ आया हूँ लेकिन अगर आप बहराइच में रहते होंगे तो यातायात व्यवस्था व अतिक्रमण में काफी सुधार देखने को मिला होगा।जबकि डग्गामारी के सवाल पर कहा कि वैसे तो हमें जानकारी नहीं है लेकिन आप लोगों के माध्यम से जो भी मामला संज्ञान में लाया जाएगा उस पर कार्यवाही जरूर की जायेगी।श्री तिवारी ने कहा कि नगरीय क्षेत्र में स्टैंड के ठेकों की जिम्मेदारी नगरपालिका की है जिसके न होने से राजस्व का बड़ा नुकसान होता है।जबकि मीडिया के ऐसे सवालों पर नगरपालिका के जिम्मेदार अधिकारी भी चुप हो जाते हैं। ऐसे में सवाल यह भी है कि जिले में हो रहे खुलेआम भ्रष्टाचार व सरकारी राजस्व के हो रहे बड़े नुक्सान के बीच वाहनों के चालान के नाम पर सरकारी मसीहा बनने वाले ऐसे जिम्मेदारों को एक ही जिले में दो क़ानून चलाने का अधिकार किसने दिया है? संभागीय परिवहन विभाग के जिम्मेदारों द्वारा एक ही लाइसेन्स पर दो नाम जारी करने,जिले में घूम रही हजारों ट्रैक्टर ट्रालियों का रजिस्ट्रेशन न करने व नपाप के जिम्मेदारों द्वारा बगैर रजिस्ट्रेशन,बगैर नंबरों व बगैर कागजातों के खुले आम अवैध रूप से भारी वाहन दौड़ाये जाने के बाद भी आखिर क़ानून का साहस किसके संरक्षण में चारो खाने चित होकर अपनी क्षाती पर अपराध को चढ़ने का मौका दे रहा है।इतना सब होने के बाद भी दूसरे वाहनों का चालान काटना क्या उचित है?वो भी ऐसी परिस्थिति में जब वाहनों के कागजातों के जिम्मेदार विभाग में जिला प्रशाशन की नाक के नीचे विभागीय कर्मचारियों से ज्यादा अवैध रूप से खुलेआम दलाल काम कर रहे हों।प्रदूषण सार्टिफिकेट के नाम पर विभाग के ही खोपड़ी पर बैठकर अवैध वसूली तक कर रहे हों।ऐसे में लोगों का यह कहना कि देश के क़ानून में न तो भेदभाव होना चाहिए और न ही विभागीय भ्रष्टाचार पर पर्दा डाला जाना चाहिए कहीं न कहीं से कडुवा सच ही बयां करता नजर आ रहा है।

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