मटका कम्पोस्टिंग के जरिए घर घर में कचरे को खाद में बदलने के लिए लोगों को किया गया जागरूक | New India Times

राकेश यादव, देवरी /सागर (मप्र), NIT:

मटका कम्पोस्टिंग के जरिए घर घर में कचरे को खाद में बदलने के लिए लोगों को किया गया जागरूक | New India Times

गांधी वार्ड में गांधी स्व सहायता समूह देवरी कचरे के काबनिक पदार्थों को खुले स्थानों पर न फेंककर विभिन्न विधियों के जरिए उसे खाद में बदलने का कार्य भी कचरा प्रबंधन के तहत आता है। ऐसी ही एक विधि है मटका कम्पोस्टिंग जिसमें कचरे को मटके में रखकर खाद तैयार की जाती है। यह विधि घरों-घर कारगर हो इसके लिए नगर पालिका परिषद द्वारा महिलाओं को प्रेरित करने की पहल रंग ला रही है। सीएमओ सी पी राय तथा स्वच्छता उप निरीक्षक अनीशा कुरैशी ने बताया कि यदि प्रत्येक घर में मटके से मिट्टी की महक वाला खाद बनाया जाने लगे तो डंप साइट पर कचरे की मात्रा घटेगी। साथ ही कचरे का उचित प्रबंधन भी होगा। इच्छुक नागरिक जानकारी के लिए कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं।

यह है कि प्रक्रियामटका कम्पोस्टिंग के जरिए घर घर में कचरे को खाद में बदलने के लिए लोगों को किया गया जागरूक | New India Times

नगर परिषद में स्वच्छता उप निरीक्षक अनीशा कुरेशी ने बताया कि मटका कम्पोस्टिंग के लिए सूखी पत्तियां, धूल-मिट्टी, कागज, बचे-खुचे फल, सब्जियों का फेंका जाने वाला कचरा, दही और थोड़ा सा पानी उपयोगी होता हैं। मटके में ऊपर की ओर तीन से चार इंच छोड़कर गोलाई में पांच से सात छेदकर मटके में अनुपयोगी कागजी कतरन डालकर सब्जी, फल आदि के छिलके डाले जाएं व इसके ऊपर पांच से सात छोटी चम्मच मठा या दही डाला जा सकता है। फिर कचरे को सूखे पत्तों व मिट्टी से ढांंंकें तथा मटके पर ढक्कन की तरह कपड़ा बांध दें। सप्ताह में एक बार मटका खोलकर सामग्री को लकड़ी से पलटा जाए। करीब दो माह में मिट्टी की महक वाला खाद तैयार हो जाता है।

इंडोर व आऊटडोर दोनों प्रक्रियामटका कम्पोस्टिंग के जरिए घर घर में कचरे को खाद में बदलने के लिए लोगों को किया गया जागरूक | New India Times

कचरे को मटके में रखकर खाद में बदलने की प्रक्रिया घर के अंदर तथा बाहर दोनों ही स्थानों पर की जा सकती है। सीएमओ सी पी राय का कहना है कि गीले कचरे के उपयोग से खाद बनाने की प्रक्रिया बगीचे या बरामदे में की जाए तो बेहतर होगा, क्योंकि यहां मटके को धूप भी मिलती है, तथा इसके जरिए उचित तापमान के साथ कम समय में ही खाद बन जाता है। जबकि सूखे कचरे की अधिक मात्रा के साथ इंडोर पद्धति से भी मटके में खाद तैयार की जा सकती है। राजपूत के अनुसार यदि कोई इस प्रक्रिया को अपनाना चाहता है तो इसके लिए नप में संपर्क किया जा सकता है, ताकि घर पहुंचकर प्रक्रिया का डिमांस्ट्रेशन भी दिया जा सके।


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