सुबह नौ ईदे-ग़दीर की नमाज़ के बाद जश्ने ईद-ए-ग़दीर हर्षोल्लास के साथ हुआ सम्पन्न | New India Times

अरशद आब्दी, ब्यूरो चीफ झांसी (यूपी), NIT:

सुबह नौ ईदे-ग़दीर की नमाज़ के बाद जश्ने ईद-ए-ग़दीर हर्षोल्लास के साथ हुआ सम्पन्न | New India Times

आज सुबह से ही शिया मस्जिद (ईदगाह) नई बस्ती – झांसी में शिया मुसलमान बच्चे एकत्र होने लगे ताकि मज़हबी और समाजी विरासतों को आसानी से आने वाली नस्लों में हस्तांतरित किया जा सके। सभी का पुरजोश ख़ैर-मक़दम शिया मस्जिद (ईदगाह) नई बस्ती झांसी के प्रबन्धक जनाब सैयद ग़ज़नफर हुसैन और हाजी अज़हर अली ने इत्र लगाकर किया सभी ने एक दूसरे को ईद-ए-ग़दीर की मुबारकबाद दी।

संचालन करते हुये सैयद शहनशाह हैदर आब्दी ने कहा, “रसूले ख़ुदा हज़रत मोहम्मद मुस्तफा द्वारा अपने जांशीन (उत्तराधिकारी) के ऐलान का पाक दिन है ईद-ए-ग़दीर !! हर आम मुसलमान पर फर्ज़ है कि वो “ईद-ए-ग़दीर” की सही जानकारी ले। “ईद-ए-ग़दीर” पर ईमान लाकर “ईद-उल-फितर” और “ईद-उल-अज़हा” की तरह इसका भी जश्न मनाये। इस्लाम में फिरक़ों में मौजूद तफरक़ों को ख़त्म करने का यही सही तरीक़ा है। “

सुबह नौ ईदे-ग़दीर की नमाज़ के बाद जश्ने ईद-ए-ग़दीर हर्षोल्लास के साथ हुआ सम्पन्न | New India Times

मौलाना सैयद फरमान अली आब्दी ने कहा,” 18 ज़िलहिज 10 हिजरी (10 मार्च सन 632 ई0) को रसूले ख़ुदा हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहोअलैहैवसल्लम ने अपने आख़िरी हज से लौटते हुऐ “ग़दीरे ख़ुम” के मैदान ऊंटों के कजावे पर एक ख़ास तरह का मिम्बर बनाया। आगे निकल गये हाजियों को वापस बुलाया गया, पीछे रह गये हाजियों का इंतज़ार किया गया।इसके बाद खुदा के हुक्म की तामील करते हुये तक़रीबन सवा लाख हाजियों की मौजूदगी में, शेरे ख़ुदा हज़रत अली अलैहिस्सलाम को अपने हाथों पर बुलन्द कर उनकी जानशीनी का ऐलान करते हुऐ कहा,”मन कुंतो मौला हो फा हाज़ा अलीयुन मौला” अर्थात मैं जिस-2 का मौला हूं, आज से अली भी उस-2 के मौला हैं।“ अल्लाह के हुक्म से हज़रत जिबराईल फौरन ही दीने इस्लाम को मुकम्मल करने की आयत लाये। “

नमाज़ मौलाना सैयद शाने हैदर ज़ैदी ने पढाई और कहा,” इसके बाद सबसे पहले हज़रत उमर ने हज़रत अली अलैहिस्सलाम को,” बख़्ख़िन-2 या अली इब्ने अबु तालिब अलैहिस्सलाम” कहकर मुबारक बाद दी और कहा,”आज से आप मेरे और तमाम मोमेनीन के मौला हो गये।“ साथ ही सभी हाजियों के साथ हज़रत अली अलैहिस्सलाम के हाथों पर बैअत की अर्थात अपने समर्थन और वफादारी का ऐलान किया। यही है “ईद-ए-ग़दीर, अर्थात रसूले खुदा मोहम्मद मुस्तफा द्वारा अल्लाह के हुक्म से अपने वली, अपने जांनशीन (उत्तराधिकारी) का ऐलान !” हर मोमिन मुसलमान पूरी मसर्रत और जोश के साथ इस ईद का जश्न मनाता है।

अगर रसूले ख़ुदा हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहोअलैहैवसल्लम की रहलत के बाद अगर कुछ लोग मुकर जायें तो यह उनका क़ुसूर है। शिया मुसलमान ऐसे मुनकिरों को अपना रहबर नहीं मानते जिन्होंने रसूले खुदा के हुक्म को नहीं माना।

आज के दिन नमाज़ के बाद सभी मोमिनीन और इंसाफ पसन्द इंसानों ने एक दूसरे से गले मिले और कहा “ईद-ए-ग़दीर” और इसका जश्न मुबारक !! काव्यात्मक आदारांजली सर्व श्री ऐजाज़ अख्तर जलालपुरी, शादाब जौनपुरी, सलमान जौनपुरी, आबिद रज़ा,अकबर अली ने अर्पित की।

अंत में मुल्क और समाज के सुख समृध्दि और शांति के लियेसामूहिक प्रार्थना की गई। आभार जनाब हामिद अली ने ज्ञापित किया।

इस अवसर पर सर्व श्री मोहम्मद सईद,अली हसन जाफरी,निसार हैदर ‘ज़िया’, आबिद रज़ा, मोहम्मद हादी, इज़हार अली, इमरान हैदर, अकबर अली, शऊर मेहदी, नईमुद्दीन,फुर्क़ान हैदर, अली समर, वसी हैदर, साजिद मेहदी, मज़ाहिर हुसैन, दिलशाद, हैदर अली राजू. फैज़ अब्बास, मेहदी नवाब, नक़ी हसनैन, इरशाद रज़ा, मूनिस हैदर, ज़ामिन अब्बास,आफताब आलम, असहाबे पंजतन, फीरोज़ अली, रईस अब्बास, सलमान हैदर, ताज अब्बास, ज़ीशान हैदर, हसन रज़ा, हमदोस्त हुसैन, नजमुल हसन, ज़ाहिद मिर्ज़ा, मज़ाहिर हुसैन, आलिम हुसैन, ताहिर हुसैन, राहत हुसैन, ज़मीर अब्बास, अली जाफर, नाज़िम जाफर, नक़ी हैदर, वसी हैदर, अता अब्बास, क़मर हैदर, शाहरुख़, महताब अब्बास आदि मौजूद रहे।


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