ओवैस सिद्दीकी, ब्यूरो चीफ, अकोला (महाराष्ट्र), NIT:
शहर में जाम की समस्या सिरदर्द बनती जा रही है और यातायात विभाग द्वारा इस पर लगाम लगाना असंभव नजर आ रहा है। तत्कालीन शहर यातयात विभाग के पुलिस निरीक्षक विलास पाटिल के कार्यकाल में शहर की यातयात व्यवस्था में काफी हद तक सुधार आया था साथ ही दुर्घटनाओं में भी कमी आई थी लेकिन उनके पदभार छोड़ते ही शहर की यातायात व्यवस्था चरमरा गई है। यहां सड़कों पर लंबे समय तक जाम लगा रहना सामान्य बात हो गई है। बात शहर के म. गांधी रोड की हो या ओपन थेटर परिसर की जहा वाहन चालक जाम की समस्या से परेशान हैं वहीं पैदल चलने वाले नागरिकों को भी इस में फंसना ही पड़ता है।
शहर के अशोक वाटिका परिसर से रेल्वे स्टेशन तक फ्लाई ओवर ब्रिज बनाने का काम प्रगति पर है जिसकी वजह से इस रूट से गुजरने में वाहन चालकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, ऐसे में अगर कोई हैवी वाहन या अन्य कारणों से के चलते यातयात बाधित होता है तो घंटों जाम लगा रहता है। मीडिया टीम द्वारा किए गए सर्वे में पाया गया है कि कुछ यातयात कर्मी इस जाम की समस्या को हल करने की बजाए चालान फाड़ने में लगे रहते हैं तो कुछ मोबाइल में। ऐसी ही स्थिति रही तो शहर में अनियंत्रित वाहनों की वजह से बड़ा हादसा हो सकता है, साथ ही बस स्टैंड एवं टावर परिसर के सिग्नल बंद होने के कारण दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है। शहर की यातयात व्यवस्था पुर्ण रूप से शिकस्त होती नजर आ रही है। यातायात पुलिस निरीक्षक के नियंत्रण निष्क्रियता के आरोप नागरिकों द्वारा लगाए जा रहे हैं साथ ही चर्चा यह भी है कि बहुत से यातायात कर्मचारी ऐसे भी हैं जिन्होंने अबतक यातयात पुलिस निरीक्षक को देखा तक नहीं तो कर्मचारियों के कार्य की निगरानी एवं नियंत्रण तो दूर ही कि बात है।
जाम की समस्या को हल करने की कोशिशें जारी
हाल ही में पुलिस निरीक्षक मानकर ने शहर यातायात विभाग का पदभार संभाला है। शहर में जाम की समस्या के संदर्भ में उन्होंने कहा कि यातयात को सुचारु रूप से चलाने के लिए उनके प्रयास जारी है, विभाग द्वारा विशेष रूप से जाम वाले परिसरों में कर्मचारी तैनात किए जाएंगे।
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