आलम वारसी, ब्यूरो चीफ, मुरादाबाद (यूपी), NIT:
8 साल की उम्र बड़ी अनमोल उम्र होती है, इस उम्र में बच्चे खेलते हैं और खूब सारी मस्ती करते हैं और दुनिया की सारी बातों से दूर रहते हैं लेकिन इसी बचपन में अपने पिता का साया 8 साल के मासूम मोहम्मद शान ने खो दिया जिसको कभी भी अपने पिता का वह कंधा नहीं मिलेगा जिसके ऊपर बैठकर वह मस्ती किया करता था। अब उसकी फरमाइश है पूरी करने वाला उसका पिता नहीं रहा, 8 साल के मासूम मोहम्मद शान की आंखें अभी भी स्कूल जाते और आते समय अपने पिता को ढूंढती हैं, ढूंढती हैं कि काश कहीं से उसका पिता उसे लेने के लिए आ जाए लेकिन ऐसा मुमकिन नहीं है क्योंकि उसके पिता की हत्या कर दी गई थी जिसको लेकर 8 साल का मासूम अपने खेलने की उम्र में कलेक्ट्रेट के सामने हाथ में तख्ती लिए हुए जिस पर लिखा है कि मेरे डैडी को इंसाफ दो अपने पिता के हत्यारों को गिरफ्तार कराने के लिए और अपने पिता को इंसाफ दिलाने के लिए मां के साथ लगभग 3 दिन से कलेक्ट्रेट के सामने धरने पर बैठा है। मोहम्मद शान चाहता है कि उसके पिता के हत्यारों को गिरफ्तार किया जाए, अगर ऐसा नहीं हुआ तो मैं आगे भी इसी तरह धरने पर बैठा रहूंगा लेकिन प्रशासन है उसके कान पर जूं तक नहीं रेंगती।
आपको बता दें कि अब से लगभग 6 महीने पहले आरटीआई एक्टिविस्ट कासिम सैफी की हत्या कर दी गई थी जिसके तीन आरोपी पुलिस की गिरफ्त में आ गए थे लेकिन जो मुख्य आरोपी था हारुन सैफी वह अभी पुलिस की गिरफ्त से दूर है जिसकी गिरफ्तारी को लेकर मासूम 8 साल का मोहम्मद शान अपने पिता को इंसाफ दिलाने के लिए कलेक्ट्रेट पर लगभग 3 दिन से धरने पर बैठा हुआ है। 8 साल का मासूम मोहम्मद शान का कहना है कि मेरे पिता को हारून ने मरवा दिया जिसकी गिरफ्तारी अभी तक नहीं हो पाई है, अगर मेरे पिता के हत्यारे हारुन सैफी को गिरफ्तार नहीं किया गया तो मैं यही धरने पर बैठा रहूंगा। कमाल की बात ये है कि 3 दिन बीत जाने के बाद भी कोई भी अधिकारी परिवार की सुध लेने नहीं पहुँचा। अब देखने वाली बात यह होगी कि 8 साल के मासूम की पुकार पुलिस प्रशासन तक किस तरह पहुंचती है या फिर प्रशासन 8 साल के मासूम को भी अनदेखा करता है। प्रशासन का दिल 8 साल के मासूम पर भी नहीं पसीजता है या नहीं।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts to your email.