मुख्यमंत्री गहलोत अबकी दफा भी सरकार के आखिरी समय में बोर्ड-निगम व सवैंधानिक पदों पर नियुक्तियां देंगे? | New India Times

अशफाक कायमखानी, जयपुर (राजस्थान), NIT:मुख्यमंत्री गहलोत अबकी दफा भी सरकार के आखिरी समय में बोर्ड-निगम व सवैंधानिक पदों पर नियुक्तियां देंगे? | New India Times

हाल ही में सम्पन्न हुए लोकसभा चुनाव में पूत्र मोह के चलते कांग्रेस राजनीति में चर्चा में आये मध्यप्रदेश व राजस्थान के मुख्यमंत्री कमलनाथ व अशोक गहलोत के अलावा कांग्रेस नेता चिदम्बरम के पुत्रों के लोकसभा चुनाव लड़ने पर गहलोत के बेटे वैभव गहलोत के अलावा अन्य दोनों नेताओं के पुत्रों के लोकसभा चुनाव जीतने के कारण काफी दवाब महसूस करने वाले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की आदत रही है कि बोर्ड-निगम व सवैंधानिक पदों पर नियुक्तियां सरकार के आखिरी समय में करते रहे हैं।
राजस्थान में मुख्यमंत्री के सलाहकारों व कोर्ट में आवश्यक सरकारी वकीलों की नियुक्तियों के अलावा हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में ओम थानवी के वीसी पद पर नियुक्ति होने के अलावा तमाम तरह की राजनैतिक व संवैधानिक नियुक्तियों का पिटारा अभी तक राजस्थान में खूला नहीं है।
राज्य में कांग्रेस सरकार बनने के चार माह बाद हुये लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की बुरी तरह हार होने में कांग्रेस के आम कार्यकर्ताओं की सत्ता में भागीदारी ना होना भी अनेक कारणों में से एक अहम कारण बताया जाता है। लेकिन लोकसभा चुनाव सम्पन्न होने के बाद अब स्थानीय निकाय व पंचायत चुनाव के अलावा सहकारी बैंकों के चुनाव होने के पहले कांग्रेस कार्यकर्ता राजनैतिक नियुक्तियों की चाहत रखते हैं। इन नियुक्तियों के बाद आम कार्यकर्ता को सत्ता में अपनी भागीदारी नजर आने से वो उक्त चुनावों में उदासीन की बजाय सक्रिय होकर पार्टी हित में काम करता नजर आयेगा। दूसरी तरफ लोकायुक्त व राजस्थान लोकसेवा आयोग में सदस्यों की नियुक्तियों सहित अनेक संवैधानिक पदों पर अभी तक नियुक्ति नहीं होने से आम कामकाज सूचारू रुप से नहीं हो पा रहा है।
हालांकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के राजनीतिक जीवन के लिये एक माह का समय काफी महत्वपूर्ण माना व बताया जा रहा है। कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की तल्ख टिप्पणियों से एक दफा गहलोत के सामने धूंधलापन सा छाया नजर आ रहा है। लेकिन गहलोत को राजनीतिक गोटियां फिट कर संकट से उभरने का माहिर माना जाता रहा है। राजस्थान लोकसेवा आयोग में सदस्यों के दो पद पहले से खाली चल रहे हैं एवं 17-जून 2019 को सुरजीत मीणा व के.राम चौधरी नामक दो सदस्यों का छ साल का कार्यकाल पूरा होने पर वो रिटायर होने जा रहे हैं। उधर लोकायुक्त का पद भी खाली चल रहा है।
कुल मिलाकर यह है कि राजस्थान के कांग्रेस कार्यकर्ताओं को सत्ता में भागीदारी का ऐहसास करवाने के लिये राजनीतिक नियुक्तियों का पिटारा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को खोल देना चाहिए। दूसरी तरफ आम जनता की सहूलियत के लिये संवैधानिक पदों पर भी नियुक्तियां जल्द पूरी करनी चाहिए।


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