मकसूद अली, ब्यूरो चीफ, यवतमाल (महाराष्ट्र), NIT:
यवतमाल जिला के नेर तालुका में इन दिनों सटोरियों की संख्या बढ़ती ही जा रही है और यह कारोबार भी फलफूल रहा है बावजूद इसके पुलिस विभाग का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। नेर वासियों ने आरोप लगाते हुए कहा कि नेर सहित आसपास क्षेत्रों में यह सट्टे का कारोबार पुलिस की मिलीभगत से चल रहा है। क्योंकि यह गोरखधंधा बिना पुलिस की मिलीभगत के खुलेआम इतने बड़े पैमाने पर नहीं चल सकता है।
खुलेआम चल रहा है कारोबार
नेर शहर गांवों के लोग पर्ची सट्टा और हाजरवली सट्टा के कारोबार का शिकार हो रहे हैं। समाजसेवक श्री प्रेमासाई महाराज जी ने इस विषय में पुलिस प्रशासन तथा नागरिकों का ध्यान केंद्रित किया है तब से सटोरी किंग ने सट्टा कॉउंटर हटा के अपने लोगों को फल के ठेले, चाय की टपरी, पान ठेले बस स्टैंट पेड़ के नीचे गलियों में आदि जगह पर जेब में सट्टे की पर्चियां लेकर घूम रहे हैं। प्रेमासाई महाराज जी ने कहा है कि अब यह मुद्दा मेरा अकेले का नहीं है बहुत जल्द कुछ केंद्रीय मंत्री खुद आकर इन सटोरियों को रंगे हाथ पकड़ेंगे। अब यह मामला यवतमाल तक या महाराष्ट्र तक सीमित न होकर दिल्ली तक पहुंच चुका है। कुछ सटोरी पैसों की जंत्री की कर्ज में दबकर अपराधी बनते हैं। जब उन्हें इस कार्य मे सफलता नहीं मिलती है तो लाखों रुपए का कर्ज कर लेते हैं। जब दी गई समय सीमा के बाद लोग कर्ज की राशि मांगते हैं तो परेशानी से बचने के लिए युवा अपने भविष्य की चिंता न करते हुए अपराध की ओर बढ़ जाते हैं।
खाईवालों पर पुलिस नहीं बनाती केस
क्षेत्र में खुलेआम चल रहे सट्टे के कारोबार में पुलिस छोटे-छोटे एजेंटों को पकड़कर मामूली केस बनाकर कुछ ले देकर मामला रफा-दफा कर देती है। जो खाईवाल खुलेआम लाखों रुपए का सट्टे के कारोबार को अंजाम देते हैं जो पूरे शहर एवं आसपास के गांवों में एजेंट बनाकर खेल करवा रहे हैं, ऐसे खाईवाल पर कोई कार्रवाई नहीं होती। पुलिस के कई जवानों का इन लोगाें से कमीशन बंधा होता है। इसलिए पुलिस जवान सट्टा खाईवालों को पकड़ने और कार्रवाई करने की बजाए केवल बंदी लेकर चले जाते हैं।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts to your email.