वी.के.त्रिवेदी, ब्यूरो चीफ लखीमपुर-खीरी (यूपी), NIT:
महिला थानाध्यक्ष रहते करोड़ों की नामी-बेनामी संपत्ति बनाने की लगी खबर को संज्ञान में लेते हुए पुलिस अधीक्षक खीरी श्रीमती पूनम ने मामले की गंभीरता के मद्देनजर मामले की जांच कराए जाने के आदेश दिए हैं।जांच अपर पुलिस अधीक्षक घनश्याम चौरसिया को सौंपी गई है।
वर्ष 2008 में सीओ सिटी रहे तथा बाद में एडिशनल एस.पी बनकर खीरी में तैनाती पाये घनश्याम चौरसिया खीरी जिले की बड़े करीब से भौगोलिक जानकारी रखते हैं तथा अपनी तेज तर्रार व बेबाक कार्यशैली के ईमानदार अपर पुलिस अधीक्षक को जांच मिलने से मामले में कई की गर्दनें फंसना तय माना जा रहा है। अभिलेखीय साक्ष्यों की यदि गहनता से जांच कराई जाने की नियत से यदि सदर तहसील के उप निबंधक को वर्ष 2015 से 2018 तक बैनामा विलेखों की सनद के लिए कंप्यूटर सहित तलब कर इनके व इनके परिजनों सहित बसपा नेता उनके परिजनों के नाम के बैनामा अभिलेख निकलवाए जाएं तो मामला परत दर परत खुलासा होगा और वर्ष 2014 से 2018 तक महिला थानेदार द्वारा 4 सालों में की गई प्रॉपर्टी डीलिंग की पोल खुलकर सामने आएगी।
सूत्रों द्वारा प्राप्त जानकारी अनुसार यह वहीं महिला प्रभारी हंसमती है जो वर्ष 2014 में लखीमपुर में तैनाती पाई थी और मिश्राना पुलिस चौकी की प्रभारी बनी थी और मिश्राना पुलिस चौकी प्रभारी रहते रामलीला मेला कमेटी की कपिल नाथ सेठ ट्रस्ट की जमीन पर अवैध कब्जा करवा कर बसपा नेता विजय कश्यप को उस इमारत पर सरस्वती कान्वेन्ट स्कूल खुलवाया था इतना ही नहीं अपनी मिश्राना पुलिस चौकी तैनाती के दौरान विजय कश्यप के माध्यम से चौकी क्षेत्र में कई जगहों पर सट्टा व जुओ के अड्डों को संचालित करवाकर अकूत संपत्ति हासिल की जिसकी शिकायत मिलने पर तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अरविंद सेन द्वारा इन्हें चौकी से हटाकर अपने कार्यालय से संबद्ध कर दिया था। अपनी 4 साल की जिले में तैनाती के दौरान खुद तो करोड़ों की मालकिन बनी ही साथ ही साथ अपने बेहद करीबी बसपा नेता को भी कई करोड़ का मालिक बना दिया कल तक जिसे साइकिल के लाले थे वह ऊपर से नीचे तक पीला धातु से लदा लग्जरी स्कॉर्पियो.से घूम रहा है। सूत्रों की जानकारी के मुताबिक यह स्कॉर्पियो कार भी विजय कश्यप को महिला थाना प्रभारी हंसमती द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से भेंट की गई है जिसका नंबर यू.पी 31 ए.पी 1841 है जो अक्सर महिला प्रभारी निरीक्षक के आवास पर खड़ी रहती देखी जा सकती है गाड़ी के आगे नंबर प्लेट पर नीले रंग से विजय लिखा होना व पीछे यही नाम ब्लेड से खुरचा होना शंका उत्पन्न करता है कि कहीं इस गाड़ी के तार हाल में ही बरामद की गई 14 गाड़ियों से तो नहीं जुड़े हैं। फिलहाल मामले की जांच बिठाई गई है यदि मामले की गंभीरता पूर्वक निष्पक्ष जांच की गई तो प्रभारी निरीक्षक की गर्दन फंसना तय है।