रेलवे के झूठे वादों से लोगों में आक्रोश, पुल निर्माण को लेकर वादे पर वादा रेलवे ने किया लेकिन नहीं हुआ कोई भी वादा पूरा, पुनः रेलवे के वादों पर लोगों में संशय, आक्रोश आंदोलन की संभावना | New India Times

अतीश दीपंकर, ब्यूरो चीफ, पटना (बिहार), NIT:

रेलवे के झूठे वादों से लोगों में आक्रोश, पुल निर्माण को लेकर वादे पर वादा रेलवे ने किया लेकिन नहीं हुआ कोई भी वादा पूरा, पुनः रेलवे के वादों पर लोगों में संशय, आक्रोश आंदोलन की संभावना | New India Times

बिहार के भागलपुर जिला के कहलगांव में 08.01.2019 को अनुमंडल पदाधिकारी श्री सुजय कुमार सिंह की अध्यक्षता में रेलवे के एक्सक्यूटिव इंजीनियर जेई नीरज सिंह, संवेदक के प्रतिनिधि एवं सर्वदलीय समितियों के साथ रेलवे आरओवी संख्या 127 से संबंधित बैठक हुई।

बैठक बड़ी गहमागहमी के साथ शुरू हुआ। सर्वदलीय समिति के द्वारा बताया गया कि आरओबीसी संख्या 127 को तोडने के पूर्व दिनांक 05.09. 2017 को कहलगांव के ट्राईसेम भवन में अनुमंडल पदाधिकारी की अध्यक्षता में बैठक हुई थी। बैठक में रेलवे इंजीनियर के द्वारा बताया गया था कि, उक्त पुल को तोड़े जाने के बाद आठ से नौ महीने में नये पुल का निर्माण करा दिया जाएगा। बैठक में लिखित मांग की गयी थी परंतु उस तिथि को एनओसी नहीं दिया गया। पुन: 30-10-2017 को बैठक ट्राईसेम भवन में हुई उस तिथि को रेलवे इंजीनियर के द्वारा आश्वस्त कराया गया था कि मैं आठ से नौ माह मे पुल का निर्माण कर दूंगा। पुल निर्माण के लिए इस शर्त पर रेलवे को अनुमंडल से एन ओ सी दिया गया। तदुपरांत 3 दिसंबर 2017 को पुल ध्वस्त किया गया। फलस्वरूप नये पुल का निर्माण कार्य प्रारम्भ हुआ। पाईलिग के दरम्यान जमीन के निचे पत्थर निकलने पर डिपार्टमेंट से टेक्निकल एप्रूवल लेने मे विलम्ब होने पर पुनः पुल निर्माण के समय मे इजाफा हुआ। रेलवे कार्यालय के चीफ इंजीनियर के पत्रांक DCA/COH/JMP/BGP_PPT/ROB Dated 23.03.2018 के द्वारा दिसंबर 2018 तक में पुल निर्माण करा देने का लिखित आश्वासन दिया था लेकिन, रेलवे के इंजीनियरिंग एवं संबंधित संवेदकओं की लापरवाही से पुल दिसंबर माह में भी नहीं बन पायेगा इसको देखते हुए रेलवे एवं ठिकेदार पर दवाव वनाने के लिए कि पुल का निर्माण दिसम्बर मे हो सके इसके लिए सर्वदलीय समिति के द्वारा दिनांक 29.08.2018 को एक दिवसीय धरना दिया गया तथा ज्ञापन मंडल रेल प्रबंधक मालदा, रेल मत्री भारत सरकार, डी आर एम, डी एम भागलपुर, अनुमंडल पदाधिकारी कहलगाँव को दिया गया। उक्त धरणा के वक्त डी एन से दूरभाष पर बार्ता हुई कि पुल निर्माण कार्य में विलंब तो हो रहा है परन्तु पुल फरबरी अथवा मार्च के द्वितीय सप्ताह मे अवश्य निर्माण करा ही देगें। इसका सर्वदलीय समिति ने लिखित मांग की इस पर वो वोले कि एक सप्ताह में भेजवा देगे । परन्तु नही भेजवाया गया। समय समय पर सर्वदलीय समिति की बैठके होती रही। दिनांक 03. 12. 2018 को पुल टूटने से एक बर्ष बीत जाने के बाद शोक दिवस के रुप मे कैण्डल मार्च निकाला गया था। इसके बाबजूद भी रेलवे के कान पर जूँ तक नही रेगा। पुनः सर्वदलीय समिति 30.12.2018 को बैठक कर निर्णय लिया कि रेलवे के अधिकारि अनुमंडल पदाधिकारी कहलगाँव से एक सप्ताह के अन्दर बैठक कर सुनिश्चित करे कि पुल निर्माण कार्य फरवरी माह के अंत मे अथवा मार्च के प्रथम या द्वितीय सप्ताह मे करवा देगे।
इस पर अनुमंडल पदाधिकारी कहलगाँव ने अपनी अध्यक्षता मे आज बैठक बुलाई । इस बैठक में रेल के स्कूटीव इंजीनियर और जूनियर इंजीनियर तथा संवेदक के प्रतिनिधि ने फरवरी माह और मार्च के द्वितीय सप्ताह मे पुल तैयार होगा से इनकार कर चले गये।

इनलोगों का सारा लिखित बादा झुठा सावित हो गया ! इनके द्वारा पुल निर्माण में और बिलम्ब जुन -जुलाई बाताया गया । इस पर समिति द्वारा रोष प्रकट किया गया और बैकल्पिक मार्ग के लिए रेलवे फूट ओवर ब्रीज पर पर्वी छोर मे प्लेटफार्म से बाहर सिढी चढाने की बात कही गयी। परन्तु कोई सकरात्मक जवाव नही मिला।

समिति विच्छुब्ध हो कर बैठक में यह कहा कि जनता आक्रोशित है !क्या होगा ?कहना मुश्किल है?

अनुमंडल पदाधिकारी ने चीफ इंजीनियर एवं रेल प्रशासन को यह पत्र प्रेषित किया कि पुल निर्माण मे अनावश्यक बिलम्ब से होने वाले लाँ इन आँडर की सारी जबाब देही आप की होगी।

ज्ञातव्य की भागलपुर जिले के कहलगांव शहर के बीचोबीच यह पुल बिहार और झारखंड को जोड़ता है । इसी पुल से प्राचीन शिक्षा का केंद्र विक्रमशिला पर्यटक जाते थें। शहर के लोगों के लिए दैनिक कार्य के लिए , रोजमर्रा की जरूरत है । इसके अलावा कहलगांव अनुमंडल कार्यालय, कहलगांव अनुमंडल पुलिस कार्यालय भी इसी पूल होकर जाया जाता है ।कहलगांव ब्लॉक सहित कई महत्वपूर्ण जगह जाने आने के लिए यही एकमात्र पुल था जिसे रेलवे द्वारा पुराने पुल होने के कारण तोड़ कर के पुनः बनाया जा रहा है ।
लेकिन, इस पुल के बनने में विलंब होने से और रेलवे द्वारा लगातार बदलता बयान और कथनी और करनी में अंतर से लोगों में खासी नाराजगी देखी जा रही है और यह नाराजगी कभी भी उग्र हो सकती है। आंदोलन हो सकता है ऐसा कहा जा रहा है !

जरूरत है की रेलवे प्रशासन इस फूल को समय रहते बनवा ले नहीं तो, किसी भी तरह की अनहोनी की आशंका से टाला नहीं जा सकता ऐसा लोगों का कहना है।

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