अब्दुल वाहिद काकर, ब्यूरो चीफ धुले/नंदुरबार (महाराष्ट्र), NIT:
चुनाव में इस्तेमाल की जाने वाली इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की विश्वसनीयता को लेकर सवाल उठ रहे हैं जिससे प्रदेश चुनाव आयोग सवालों के घेरे में आ गया है।
मंगलवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी तथा भारतीय कांग्रेस पार्टी ने मनपा आयुक्त सुधाकर देशमुख को मनपा के आम चुनावों में निष्पक्ष व पारदर्शिता लाने के लिए चुनावों में उपयोग होने वाली ईवीएम मशीनों को बदलने और वीवीपीएट लगाने की मांग का ज्ञापन प्रेदश के चुनाव आयोग के नाम सौंपा हैं। वही पर वीवीपैट के अनुरोध पर प्रशासन ने नेताओ को ईवीएम हैकिंग की चुनौती दी है जिससे धुलिया के जनादेश पर तकनिकि खतरा मंडराने लगा है।
9 दिसंबर को होने जा रहे धुलिया महानगरपालिका चुनाव के लिए प्रशासन बगैर वीवीपीएट (voter verify paper audit trail) की EVM इस्तेमाल करने कि फिराक में है। दिल्ली से लेकर देहातों तक के चुनावों में और ईवीएम से जुडे हैकिंग जैसे पहलुओं के मद्देनजर भाजपा छोडकर अन्य सभी विपक्षी पार्टियों ने ईवीएम को कडा विरोध दर्शाया है। सुप्रिम कोर्ट के आदेश के बाद सभी ईवीएम को वीवीपीएट लगाना अनिवार्य करने के बावजुद भी कई जगह चुनाव आयोग अपनी रट लगाते मनमानी करने पर तुला है, इसमें धुलिया निकाय एक ताजा मामला है। यहाँ बगैर वीवीपीएट वाली ईवीएम का विरोध करने पहुंचे कांग्रेस के विधायक श्री कुणाल पाटील और एनसीपी पूर्व विधायक श्री राजवर्धन कदमबाँडे को चुनाव अधिकारी श्री सुधाकर देशमुख ने शिकायत का निराकरण करने के स्थान पर ईवीएम हैक करने की गैर आधिकारीक चुनौती दे डाली है।
वही पर शिकायतकर्ताओं ने प्रशासन द्वारा सुरत और जलगांव से मंगवाई ईवीएम को बदलने के साथ वीवीपीएट की मांग की है। बहरहाल ईवीएम हैकिंग्स के कहीं प्रात्याक्षिक दिल्ली विधानसभा समेत सोशल मिडीया पर जनता ने बखुबी देखे और समझे हैं। वीवीपीएट को लेकर शीर्ष अदालत के आदेश की खिलाफ़त कर आखिर चुनाव आयोग जैसी संवैधानीक संस्था क्या साबित करना चाहती है? पारदर्शी चुनाव के लिए वीवीपीएट मुहैय्या करवाना जितना सरकार कि जिम्मेदारी है उतना ही अदालत के आदेश का अमल करना चुनाव आयोग का दायित्व है ना कि जनप्रतिनिधियों को ईवीएम हैकिंग की चुनौती देना और किसी खास दल को लाभ पहुंचाने कि मंशा से राजनितीक पैंतरे चलना। अब मतदान के लिए महज 5 दिन बचे हैं ऐसे में वीवीपीएट से वंचित ईवीएम को लेकर जनता में पनपी संदेह की स्थिति अगर नतीजों के बाद किसी अनहोनी में तब्दील हुई तो इसके लिए किसे जिम्मेदार माना जाए? या फ़िर चुनाव आयोग और प्रशासन पर न्यायालय की अवमानना के साथ राष्ट्रद्रोह का मुकदमा क्यो नहीं चलाया जाए? इस तरह के सैकड़ों सवाल धुलिया के उन मतदाताओं से उठ रहे हैं जिनके मताधिकार पर ईवीएम नामक तकनिक का खतरा मंडरा रहा है। बहरहाल लोकतंत्र से जुडे इस समस्या के निवारण के लिए कोई तो अदालत का दरवाजा खटखटाने का प्रयास करें, इस उम्मीद से बुद्धिजिवीयों मे वीवीपीएट की राह तकी जा रही है।
धुलिया मनपा चुनावों को निष्पक्ष बनाने की मांग को लेकर कांग्रेस विधायक कुणाल पाटिल, एनसीपी नेता पूर्व विधायक राज्यवर्द्धन कदमबांडे महापौर कल्पना महाले ने प्रदर्श चुनाव आयोग से की है।