रहीम हिंदुस्तानी/अनिल भलिका, उज्जैन (मप्र), NIT:
उज्जैन जिले की 7 विधानसभा सीटों पर वैसे तो मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही है लेकिन 3 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के बागियों के बगावती तेवर दिखाते हुए चुनावी दंगल में डटे रहने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया।
उज्जैन उत्तर
यहाँ से बाग़ी पार्षद माया त्रिवेदी डटी हुई है जो सीधे तौर पर भाजपा के उम्मीदवार पारस जैन को इसका फायदा मिलने की काफी उम्मीदों की किरणें बिखेर रही हैं, हालांकि यह गर्भ का विषय है कि कितने लोग माया को मत देते हैं, वैसे तो बताया जा रहा है कि माया ब्राह्मण वोटों को लेकर अपना दंभ भर रहीं हैं, वहीं समाज में भी 1/3 की स्थिति बनीं हुई है।
उज्जैन दक्षिण
यहाँ से बतौर बागी जयसिंह दरबार हैं जो पिछला चुनाव कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में लड़ चुके हैं और जिले में सबसे अधिक वोट लाए भी थे। इस बार कांग्रेस से राजेन्द्र वशिष्ठ तो भाजपा से मोहन यादव चुनावी दंगल में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। ऐसे में दरबार का डटे रहना और बैठना दोनों ही प्रत्याशीयों के लिए महत्वपूर्ण था क्योंकि दरबार पूर्व में भी निर्दलीय रुप से खड़े होकर 32 हजार मत लाए थे।
यहाँ उल्लेखनीय है कि दोनों वरिष्ठ एवं दरबार के आका दिग्विजय सिंह है। महिदपुर-यहाँ से 2013 विधानसभा में निर्दलीय रूप से चुनाव लड़ चुके दिनेश जैन बोस कांग्रेस प्रत्याशी के लिए सिर दर्द बने हुए हैं, पिछले चुनाव में 50 हजार मत लाए थे और कांग्रेस प्रत्याशी तक की जमानत जब्त करवा दी थी । यहां सरदार सिंह चौहान कांग्रेस एवं भाजपा से बहादुर सिंह चौहान है, दोनों ही सौंधिया समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं, इस विधानसभा में 30 हजार सौंधिया समाज के मतदाता मौजूद हैं।
यहाँ मौज़ूदा विधायक बहादुर सिंह चौहान के खिलाफ भी पार्टी में भितरघात का खतरा मंडरा रहा है।
जबकि तराना, घटिया, नागदा में मुख्य रूप से मुकाबला दोनों ही दलों में है तो इसी तरह बड़नगर में भाजपा प्रत्याशी बदलने से भाजपा में असंतोष के स्वर गूंज रहे है और बागी बगावत पर उतारू हो कर चुनावी समीकरण को बिगाड़ रहे हैं।
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