विश्वास की कसौटी पर जो खरा उतरेगा वही होगा महानायक | New India Times

रहीम शेरानी/पकंज बडौला, झाबुआ (मप्र), NIT:

विश्वास की कसौटी पर जो खरा उतरेगा वही होगा महानायक | New India Times

मध्य प्रदेश में चुनावी सरगर्मियां के चलते आदिवासी बाहुल्य झाबुआ जिला भी पीछे नहीं है। झाबुआ जिले में भी क्षेत्रीय दल सक्रिय हो कर चुनावी गणित को गडबडा रहै हैं। यहां चुनाव लड़ने वालों की होड सी मची हुई है। चर्चाएं चल रही हैं कि चुनाव लड़ने वालों की दाड में राजनीतिक कुर्सी का खून लग गया है इसलिए राजनीति की कुर्सी को छोड़ना नहीं चाहते, तो दूसरी तरफ बागियों के बगावती तेवरों को ठंडा करने के लिये पार्टियों के आला नेता लगातार संपर्क में बने हुए हैं।

विश्वास की कसौटी पर जो खरा उतरेगा वही होगा महानायक | New India Times

मध्यप्रदेश के झाबुआ में नामांकन दाखिल करने की अन्तिम तिथि 9 नवम्बर के गुजरने जाने के बाद अब 12 नवम्बर को पार्टी प्रत्याशियों एवं निर्दलीय के तौर पर खडे हुए अभ्यार्थियों के फार्मो की संविक्षा होने तथा 14 नवम्बर तक नाम वापसी होने की तारीख तक कितने इस चुनावी दंगल में अपना भाग्य आजमाने के लिये डटे रहेगें ! यह स्पष्ट हो इसके बाद ही जिले की तीनों विधानसभाओं में कमल का फुल या फिर हाथ का पंजा होगा या फिर निर्दलीय बाजी मारेंगे 28 नवम्बर को मतदान में किस बटन पर सबसे अधिक लोगों का रुझान रहेगा यह भी उसी दिन पता चलेगा ! जिले की थांदला पेटलावद एवं झाबुआ विधानसभा के लिये माहौल को देखा जाये तो अनुमन थांदला एवं झाबुआ में बगावतियों के तेवर ठडे होते नही दिखाई दे रहे है सबसे अधिक प्रतिष्ठा की सीट जिला मुख्यालय झाबुआ की होने से यहां पर जो अन्दरूनी लावा भभक रहा है ! यदि उसे 14 नवम्बर के पूर्व दोनों की पार्टियों के आला नेताओ ने आकर शांत करने का प्रयास नही किया तथा अपने ही दल के जनाधार वाले प्रत्याशियो को बिठाने अर्थात फार्म वापस लेने के लिये नही मनाया तो यहां आमने सामने वाला नही वरन चतुष्कोणिय मुकाबला होने से कोई टाल नही सकता सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस पार्टी में सांसद कांतिलाल भूरिया के सुपुत्र डा. विक्रांत के सामने हजारों समर्थकों के साथ ताल ठोक कर मैदान में दो दो हाथ करने का मन बना चुके पूर्व विधायक जेवियर मेडा यदि मैेदान में डटें रहते है तो कांग्रेस का जनाधार बनाने के लिये जो मेहनत करना बताई गई है वह व्यापक तौर पर प्रभावित हो सकती है । चर्चा तो यही है कि जेवियर को मनाने के लिये कांग्रेस पार्टी के ज्योति राजे सिंधिया के पद प्रभाव का इस्तेमाल करने का प्रयास कर सकती है । किन्तु वर्तमान हालात को देखा जाए तो जेवियर मेडा इस बार काफी खफा बताए जा रहे हैं ! और वे इस बार मान जाए एसा लग नही रहा है ! जाहिर सी बात है आपसी लडाई का लाभ दूसरे पक्ष की सेहत के लिये अच्छा साबित हो सकता है वही दूसरी और भाजपा की बात करें तो यहां से वर्तमान विधायक शांतिलाल बिलवाल के सतत पांच सालों तक सतत जन संपर्क के बाद भी उनके दिल के अरमा आंसुओं मे बह गये वाली स्थिति पैदा हो जाने तथा आयातित धनबल से लबरेज जी एस डामोर को पेटलावद की बजाय झाबुआ से टिकीट दे दिये जाने के चलते कार्यकर्ताओ में अपनी मातृ संस्था भाजपा के प्रति व्यापक आक्रोश पैदा हो गया और ग्रामीण अंचल के हजारों कार्यकर्ताओं की कथित भावना के चलते उन्होने भी भाजपा एवं निर्दलीय के तोर पर नामांकन जमा करवा कर पार्टी के समीकरण को ही डगमगा दिया है।

विश्वास की कसौटी पर जो खरा उतरेगा वही होगा महानायक | New India Times

सूत्रों से यह जानकारी मिली है कि 12 नवम्बर को भारतीय जनता पार्टी के बुथ स्तर तक कार्यकर्ताओं के लिये तीनों विधानसभा मुख्यालयों पर विधानसभा स्तरीय सम्मेलनों का आयोजन करे पार्टी संगठन इस आक्रोश को शांत करने का प्रयास करने वाली है तीनों विधसानसभा स्तरीय सम्मेलन में भाजपा के बडे नेताओं के द्वारा शिरकत कर बागी उम्मीदवारों को समझाईश देने के साथ ही भाजपा की जीत सुनिश्चित करने के लिये पार्टी के लोगों को जिम्मवारी दी जा सकती है खबर को यदि सही माने तो झाबुआ विधानसभा में आयोजित होने वाले इस सम्मेलन में संभवतया मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चैहान अशासकीय तौर पर शिरकत करेगें तथा शांतिलाल बिलवाल को समझाने का प्रयास कर उनसे जी एस डामोर के पक्ष में फार्म खिंचने के लिये राजी कर सकते है इस के पीछे भाजपा की दूर दृष्टि दिखाई दे रही है ! जिसके तहत बिलवाल को राजी किया जावेगा कि डामोर को 2019 में होने वाले लोक सभा के चुनाव के लिये कांग्रेस के सामने खडा करने की योजना को अमली जामा पहनाया जावेगा । यदि प्रदेश में भाजपा को बहुमत मिलता है और झाबुआ सीट भाजपा के डामोर जीत जाते है तो उन्हे पहली ही बार में मत्री पद से नवाजा जावेगा और लोकसभा के चुनाव के समय उन्हे लोकसभा संसदीय चुनाव लडवाया जावेगा तथा उनके द्वारा रिक्त की गई सीट पर उपचुनाव के दौरान शांतिलाल बिलवाल को फिर से यहां मौका देकर विधानसभा में सम्मान भेजने की रणनीति अपनाई जा सकती है। किन्तु भाजपा की रणनीति एवं राजनीति को देखते तो यदि ऐसा होने जा रहा है ! तो बिलवाल को समझा बुझा कर राजी कर लिया जावेगा इससे भाजपा की राह आसान हो जायेगी और बिलवाल को भी सम्मान मिल जावेगा । हालांकी भाजपा ने जरूर गुमानसिह डामोर को लाकर कुछ नया करने का प्रयास किया तो कांग्रेस में वही नाम सामने आये जो पहले से चल रहा था इसी के साथ झाबुआ थांदला और पेटलावद में अन्तिम तिथि तक कुल 51 लोगो ने नामाकंन भर दिये । अब इनमें से कितने चुनावी दंगल में अपनी किस्मत आजमाते हैं यह 14 तारीख के बाद ही पता चलेगा ! और कितने विटामिन की खुराक का रास्ता देखेंगे यह 14 नवम्बर तक साफ होगा।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts to your email.

By nit

This website uses cookies. By continuing to use this site, you accept our use of cookies. 

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading