फराज़ अंसारी, बहराइच (यूपी), NIT:
बहराइच पुलिस की कार्यशैली पर अक्सर उंगलियां उठती रहती हैं, मामला चाहे जमीन के अवैध कब्जे को लेकर हो, हत्या की संदिग्ध तफ्तीश की हो या फिर महिला सुरक्षा अथवा जनपद में शांति व्यवस्था कायम करने की बहराइच पुलिस इन सभी मोर्चों पर आम जनता की कसौटी पर खरी नहीं उतर पा रही है।
पिछले दिनों फखरपुर पुलिस द्वारा एक युवक को डेढ़ किलो चरस की बरामदगी दिखाते हुए मीडिया से गुपचुप आरोपी युवक को फटाफट जेल भेजने का मामला सामने आया है। ग्रामीणों में स्थानीय पुलिस को लेकर काफी आक्रोश व्याप्त है। ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस ने आरोपी युवक को छोड़ने के एवज में एक लाख रुपये की मांग की थी जिसकी पूर्ति ना कर पाने से नाराज फखरपुर पुलिस ने मनगढ़ंत कहानी बनाकर उक्त युवक को गंभीर अपराध में जेल भेज दिया। शनिवार को इस मामले को लेकर सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणों ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचकर मामले की निष्पक्ष जांच की मांग करने के साथ ही दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्यवाही की भी मांग की है। आरोप ये भी है कि उच्याधिकारियों से शिकायत कर कार्यवाही की मांग से घबराई क्षेत्रीय पुलिस ने पीड़ितों को धमकाना शुरू कर दिया है।
सोमवार को फिर इस मामले में पुलिस की लगातार मिल रही धमकियों से उग्र ग्रामीणों ने सैकड़ों की संख्या में पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचकर जमीन पर बैठकर इस मामले में आरोपित एसओ को तत्काल सस्पेंड कर सख्त कार्यवाही की मांग की और फर्जी चरस मामले में फंसाए गए व्यक्ति के मामले में निष्पक्ष जांच की मांग पर अड़ गए।
सोमवार को कप्तान ऑफिस में सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों की सूचना होते ही मौके पर नगर कोतवाल पहुँच कर प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों को समझाने की लाख कोशिश की पर पीड़ित व ग्रामीण अपनी मांगों पर अड़े रहे। इस घटना के सम्बंध में सीओ सिटी को जानकारी मिलते ही तत्काल मौके पर पहुँच कर गुस्साए ग्रामीणों को शांत रहने की अपील के साथ साथ दोषियों पर उचित कार्यवाही का आश्वासन दिया गया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार फखरपुर थाना क्षेत्र के सराय काजी गांव निवासी असलम पुत्र बाबू को स्थानीय पुलिस ने 11-10-2018 की रात को घर से उठा लिया। आरोपी की पत्नी ने जब पुलिस कार्रवाई की वजह जाननी चाही तो थाना अध्यक्ष फखरपुर ने परिवार को आश्वस्त करते हुए बताया कि असलम को केवल पूछताछ के लिए थाने ले जा रहे हैं सुबह उसे छोड़ देंगे। दिनांक 12 -10-18 को असलम के परिजनों को पता चलता है कि पुलिस ने उसे डेढ़ किलो चरस रखने के आरोप में जेल भेज दिया है जिसके बाद सैकड़ों ग्रामीण एसपी कार्यालय पहुंचे और उक्त गिरफ्तारी का विरोध करते हुए निष्पक्ष जांच की मांग करने लगे। अपर पुलिस अधीक्षक के आश्वासन के बाद ग्रामीणों का गुस्सा शांत हुआ।
सवाल ये भी बनता है कि मीडिया से क्यों छुपाया गया इतना बड़ा सराहनीय कार्य जबकि एक वारंटी को भी पकड़ कर मित्र पुलिस अपनी टीम के साथ फोटो शूट करके बड़ा सा प्रेस नोट जारी करती है जबकि यह मामला पुलिस प्रशाशन की ओर से बहुत बड़ी सफलता को क्यों नही प्रेस नोट कर माध्यम से सार्वजनिक किया गया?
बहराइच पुलिस कुछ मामलों में ज्यादा मीडिया फ्रेंडली दिखती है, खासतौर पर तब जब पुलिस के हाथ कोई गुडवर्क लगता है तो अमूमन पुलिस कार्यालय से बाकायदा तस्वीरों के साथ सराहनीय कार्य की प्रेसनोट पत्रकारों को मेल व पुलिस व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए शेयर की जाती रही है। सामान्य अपराधों में एंटी रोमियो स्क्वाड की कार्रवाई से लेकर गंभीर अपराधों के खुलासे तक सब कुछ अब तक मीडिया कर्मियों से साझा होता रहा है मगर डेढ़ किलो चरस की बरामदगी को लेकर पुलिस की तरफ से चिट्ठी पाती जारी ना होने से मामला संदिग्ध दिखता नजर आ रहा है। सोचने वाली बात है फखरपुर पुलिस की इतनी बड़ी उपलब्धि (डेढ़ किलो चरस की बरामदगी ) जिसकी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में लाखों की कीमत बताते हुए एक दमदार प्रेस नोट जारी हो सकती थी, ऐसी बड़ी कामयाबी पर एसपी साहब फखरपुर पुलिस पर बलिहारी जाते हुए पांच दस हजार रुपये नगद इनाम तो दे ही देते। वाहवाही लूटने के ऐसे बढ़िया मौके पर फखरपुर पुलिस का यूं आलसी होना समझ से परे है। बहरहाल सराय काजी के ग्रामीण मामले को लेकर आंदोलित हैं। निष्पक्ष जांच के बाद ही तस्वीर साफ हो पाएगी की असली माजरा क्या है?