ई टेंडर घोटाला: मुख्यमंत्रीऔर मुख्य सचिव की मिलीभगत से हुआ घोटाला, घोटालेमें लिप्त कंपनियों को पकडे जाने के पहले और बाद में दिये गये 8935 करोड़ के टेंडर: आलोक अग्रवाल | New India Times

अबरार अहमद खान, भोपाल, NIT:

ई टेंडर घोटाला: मुख्यमंत्रीऔर मुख्य सचिव की मिलीभगत से हुआ घोटाला, घोटालेमें लिप्त कंपनियों को पकडे जाने के पहले और बाद में दिये गये 8935 करोड़ के टेंडर: आलोक अग्रवाल | New India Times

मध्य प्रदेश के हजारों करोड़ के ई टेंडर घोटाले के बारे में आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री आलोक अग्रवाल ने आरोप लगाया कि प्राप्त दस्तावेजों से पता चलता है कि घोटाले में लिप्त कंपनियों को पकडे जाने के बाद भी हजारों करोड़ के टेंडर दे दिये गये। इनमें कुछ टेंडर देने का निर्णय करने में स्वय मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव शामिल थे। मुख्य सचिव पर करवाई करने के स्थान पर मुख्यमंत्री ने इन मुख्य सचिव महोदय को सेवानिवृति के बाद 6 माह का एक्सटेंशन दिलवा दिया। इससे साफ है कि मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव की मिलीभगत से यह घोटाला हुआ है।

उल्लेखनीय है कि पिछली पत्रकार वार्ता में उन्होंने बताया था कि किस प्रकार टेंडर घोटाला किया गया और उन्हें पकड़ा जाने पर प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी ने 8 मई 2018 को मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह को पत्र लिखकर तत्काल जाँच की मांग की थी।मुख्य सचिव ने 11 मई 2018 को इ ओ डब्लू (EOW) कोप्रकरण दर्ज कर जाँच के लिये लिखा जरुर परन्तु उसके बाद आज तक कोई करवाई नहीं हुई वरन इन्ही कंपनियों को और टेंडर दे दिये गये।

कौन थी घोटाले में शामिल कम्पनियां?

ई टेंडर के सॉफ्टवेर के लिये जिम्मेदार कंपनी अंतारेस सिस्टमस लिमिटेड की जांच में टेंडर में गड़बड़ी करने में कई कंपनियों को दोषी पाया गया था, जिनका उल्लेख प्रमुख सचिव श्री मनीष रस्तोगी ने अपने मुख्य सचिव को 8 मई 2018 को लिखे पत्र में किया था। यह कम्पनियाँ हैं-
1. जी वी पी आर इंजीनियर्स लिमिटेड.
2. इंडियन ह्युम पाइप कंपनी लिमिटेड
3. जे एम् सी प्रोजेक्ट्स(इंडिया) लिमिटेड
4. मंटेना कंस्ट्रक्शन लिमिटेड

मुख्य सचिव को शिकायत मिलते ही इन कंपनियों को ब्लैक लिस्ट करके इनके पुराने टेंडर्स की जाँच करनी चाहिये थी और इनके खिलाफ कड़ी करवाई करनी चाहिये थी. परन्तु यह न करते हुए उल्टेइनकंपनियों को घोटाला खुलने के बाद भी बड़े बड़े ठेके दे दिये गये।

घोटाला खुलने के बाद दिये घोटालेबाज कंपनियों को ठेके

घोटाले में पकड़ी गयी कंपनियों को दण्डित करने के स्थान पर इन्ही कंपनियों को निम्न ठेके दे दिये गये:-

1. मोहनपुरा परियोजना में मंटेना कंस्ट्रक्शन लिमिटेड को 22 मई 2018 को 1030 करोड़ का ठेका।
2. सजली माध्यम सिंचाई परियोजना में मंटेना कंस्ट्रक्शन लिमिटेड को 12 जून 2018 को134 करोड़ का ठेका।
3. लोअर ओर सिंचाई परियोजना में मंटेना कंस्ट्रक्शन लिमिटेड 22जून2018 को 1650 करोड़ का ठेका।
4. नर्मदा झाबुआ पेटलावद थांदला सरदारपुर उद्वहन सिंचाई परियोजना में जे एम् सी प्रोजेक्ट्स(इंडिया) लिमिटेड की जे एम् सी लक्ष्मी विलो को 5 जून 2018 को 1699 करोड़ का ठेका।
5. नांगलवाडी उद्वहन सिंचाई परियोजना में जे एम् सी प्रोजेक्ट्स(इंडिया) लिमिटेड की जे एम् सी लक्ष्मी विलो को 5 जून 2018 को949 करोड़ का ठेका।

इसके अतिरिक्त जी वी पी आर इंजीनियर्स लिमिटेड को घोटाला प्रकाश में आने के पूर्व भीकनगांव-बिन्जलवाडा उद्वहन सिंचाई योजना में 706 करोड़ और जावर सिंचाई योजना 441 करोड़ का ठेका दिया गया, परन्तु इसकी भी जाँच नहीं हुई कि क्या ये ठेके भी टेंडर में गड़बड़ करके नहीं तो नहीं हतिया लिये गये।

8935 करोड़ के घोटाले के दस्तावेज प्राप्त, 50,000 करोड़ का है घोटाला

आभी तक 8935करोड़ के घोटाले के दस्तावेज प्राप्त हो गये हैं, परन्तु मोटा अनुमान है कि यह घोटाला 50,000 करोड़ से ज्यादा का हो सकता है. अभी तक प्राप्त जानकारी निम्नानुसार है:
S.No. Tender # Beneficiary Estd Cost (Cr)
1 MPJNM/Tender No.91 GVPR Engineers Limited 1383.64
2 MPJNM/Tender No.93 Indian Hume Pipe Company Ltd 656.48
3 MPJNM/Tender No.94 JMC Projects (India) Ltd 282.33
4 WRD/Tender No 10030 Mantena Construction Ltd 1030.6
5 WRD/Tender No 10276 Mantena Construction Ltd 134.56
6 WRD/Tender No 10450 Mantena Construction Ltd 1650.00
7 NVDA/Tender No 1282 JMC-Laxmi Wilo Ltd 949.55
8 NVDA/Tender No 1283 JMC-Laxmi Wilo Ltd 1699.83
9 NVDA/Bhikangaon Binjalwada GVPR Engineers Limited 706.66
10 NVDA/Jawar lift micro GVPR Engineers Limited 441.96
Total 8935.61

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली समिति ने दिये इन कंपनियों को ठेके

चौंकाने वाला तथ्य है कि घोटाला उजागर होने के बाद भी, मुख्यमंत्री की अध्यक्षतावाले वृहद् परियोजना नियंत्रण मंडल (Major Project Control Board, MPCB) ने इन घोटाले में लिप्त कंपनियों को ठेका दिया है, और यह भी महत्वपूर्ण है कि मुख्य सचिव इस मंडल के सदस्य हैं जिन्हें प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी ने अपने 8 मई 2018 के पत्र के माध्यम से कंपनियों के नाम सहित सभी जानकारियां दे दी थी.अभी तक मुख्यमंत्री का मुख्य सचिव के खिलाफ कुछ करवाई न करना उल्टा उनके कार्यकाल को 6 महीने बढ़ा देना सिद्ध करता है कि मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव की मिलीभगत से ही यह संभव घोटाला संभव हुआ है।

मुख्यमंत्री जवाब दें,घोटालेबाजों को जेल भेजा जाये:
आमआदमी पार्टी मांग करती है कि मुख्यमंत्री इस घोटाले पर अपनी भूमिका स्पष्ट करें और घोटाले में शामिल अधिकारीयों और कंपनियों के खिलाफ कड़ी करवाई करते हुए दोषियों को जेल भेजा जाये. यदि वह यह नहीं करते है तो साफ हो जायेगा कि इस घोटाले को उनका संरक्षण प्राप्त है. आम आदमी पार्टी जन जन तक इस मुद्दे को लेकर जायेगी।


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By nit

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