फराज़ अंसारी, बहराइच (यूपी), NIT:
डॉ डीके सिंह के चार्ज ग्रहण करते ही जिला चिकित्सालय बहराइच में हाई प्रोफाइल ड्रामा शुरू हो गया है। हुआ यह कि गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कालेज में बड़ी संख्या में अस्वाभाविक बच्चों के मौत के जिम्मेदार ठहराये गए बर्खास्त डॉक्टर कफील जो हाल ही में जेल से जमानत पर छूटे हैं ने अपने दर्जनों साथियों एवं कैमरा वीडियो टीम के साथ जिला अस्पताल के चिल्ड्रन वार्ड में आ धमके और यहाँ हुई बच्चों की मौत की छानबीन के साथ साथ वार्ड में भर्ती बच्चों के परिजनों से इलाज और मिलने वाली दवाओं के बारे में सिलसिले वार पूछताछ करने लगे जिससे जिला चिकित्सालय में अफरा तफरी मच गयी। डॉ0 कफील के इस कारनामे से उतेजित जिला चिकित्सालय के कर्मचारियों एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ के के वर्मा डॉ कफील के कमर में हाथ डालकर जबरन सीएमएस कक्ष ले गए,जहाँ सीएमएस डॉ डीके सिंह ने उनसे पूछा कि आप तो गोरखपुर के बर्खास्त डॉक्टर हैं यहाँ चिल्ड्रन वार्ड में क्या कर रहे थे और किससे पूछ कर वार्डो में गए थे तो डॉ. कफील ने कहा कि मैं रहस्यमय बीमारी जानने के लिए डॉक्टर ओ पी पाण्डेय से बात चीत करके आया हूँ। इसी बीच नगर मजिस्ट्रेट और क्षेत्राधिकारी नगर भी पहुंच गए। मौके की नजाकत को देखते हुए जैसे ही डॉ0 कफ़ील सीएमएस कक्ष से बाहर निकले इन दोनों अधिकारियों के इशारे पर वहाँ मौजूद पुलिस बल ने डॉ0 कफ़ील को अपने संरक्षण में लेकर अज्ञात स्थान ले गई। पुलिस के उच्चाधिकारी इस संबंध में पूछने पर भी कुछ भी नहीं बता रहे हैं। इस कारण डॉ0 कफ़ील द्वारा शाम चार बजे होटल बँधन में बुलाई गई प्रेस कांफ्रेंस नहीं हो सकी है।
ज्ञात हो कि जिले में पिछले एक अगस्त से सोलह सितम्बर तक 71 बच्चों की बर्थ एस्फिकसिया, मेनिनजाइटिस, एनीमिया, सेप्टीसीमिया, ए0ई0एस0, पन्यूमोनिया, हेपटाइटिस, ए0जी0ई0, रेनाल फेलियर जैसी बीमारियों के चलते मौत हो गयी है जबकि सैकड़ों इस बीमारी से जूझ रहे हैं जो अब भी जिला अस्पताल में भर्ती हैं। अदिल खान ने बताया कि बीआरडी अस्पताल गोरखपुर में तैनात रहे उनके भाई डाॅ कफील खान बहराइच में इस अनजान बीमारियों से हो रही मौतों की खबरें अखबारों और टीवी चैनलों पर देख रहे थे। जिसके बाद उनका कहना था कि यह कोई अनजान बीमारी नहीं बल्कि इन्सेफलाइटिस है जिसके चलते मासूमों की जानें जा रही हैं। डाॅ कफील के बड़े भाई अदिल खान ने बताया कि इस अज्ञात बीमारी की चपेट में आये पीड़ित बच्चों और उनके परिजनों से मिलकर बीमारी के लक्षण और उसके बारे में जानकारी करने के लिये ही डाॅ कफील जिला अस्पताल पहुंचे थे लेकिन उनके अस्पताल पहुंचने के चंद मिनटों बाद ही नगर मजिस्ट्रेट सहित पुलिस अमला पहुंच गया और उन्होंने जबरन अनैतिक तरीके से उन्हें गिरफ्तार कर लिया और अपने साथ लेकर चले गये। जिसके बाद उन्हें जानकारी लगी कि डाॅ कफील को किसी शुगर मिल के गेस्ट हाउस में जिसके बगल में ही पुलिस चौकी है में बंधक बनाया गया है। अदिल कहते हैं कि न तो प्रशासन ने उन्हें यह बताया कि उनके भाई को क्यों गिरफ्तार किया गया है और न ही यह बताया कि उन्हें कहाँ रखे हुए हैं और न ही उन्ही उनके भाई से बात करायी गयी है।
बताया जा रहा है अस्पताल में मरीजों और तीमारदारों से बीमारी के लक्षण जानने के बाद डाृॅ कफील एक प्रेस वार्ता करने वाले थे। डाॅ कफील के भाई अदील ने बताया कि जिस समय अमानवीय व्यवहार पुलिस उनके भाई के साथ कर रही थी उस समय हम लोग भी वहीं पर थे और उनके भाई से प्रशासनिक अफ़सरों ने प्रेस वार्ता नहीं करने की बात कही थी। उन्होंने बताया कि डाॅ कफील प्रशासन की बात मानने को तैयार थे बावजूद इसके जिला प्रशासन ने उन्हें जबरन गिरफ्तार कर बंधक बनाये रखा है।
सवाल यह उठता है एक डॉक्टर के अस्पताल पहुंच कर मरीजों और तीमारदारों से मिलना आखिर कौन सा ऐसा गम्भीर अपराध है जिसके चलते समूचा तंत्र एक डॉक्टर को जिला अस्पताल में भर्ती बच्चों और तीमारदारों से बात करने से रोकने के लिये कवायद में जुट गया? इस घटना से एक बात तो साफ है कि अंदर खाने जिला अस्पताल अपनी किसी बड़ी नाकामी या लापरवाही को ढांकने की कोशिश कर रहा है। उसे डर है कि कहीं जिला अस्पताल की पोलपट्टी खुल न जाये, वरना एक डॉक्टर जो मरीजों और तीमारदारों से मिल अनजान बीमारी जो लगातार इनसानी ज़िन्दगियों को लील रही है की जानकारी लेने आये डॉक्टर से अस्पताल या जिला प्रशासन को कौन सा खतरा था जिसके चलते जिला प्रशासन ने उनकी गिरफ्तारी कर उन्हें बंधक बना लिया। डॉक्टर कफील न तो कोई राजनैतिक व्यक्ति हैं और न ही किसी राजनैतिक दल के नेता और तो और न ही वह यहां को राजनैतिक संवाद या कोई रैली व जनसभा को सम्बोधित करने आये थे।
पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 50ए का किया उल्लंघन
भारतीय दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 50ए यह प्रावधानित करती है कि गिरफ्तार किये गए व्यक्ति के परिजनों को गिरफ्तारी की सूचना दी जायेगी लेकिन जिले की पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 50ए का खुला उल्लंघन किया है। डॉक्टर कफील के भाई ने बताया कि उनके भाई को क्यों किरफ्तार किया गया है और कहाँ रखा गया है जिला प्रशासन ने इसकी उन्हें कोई सूचना नहीं दी है और वह लगातार अपने भाई की खोज कर रहे हैं जिन्हें पुलिस अस्पताल से ले गयी थी।
नवागन्तुक सीएमएस ने साधी चुप्पी, नहीं उठाया फोन
इस पूरे घटनाक्रम की शुरुआत जिला अस्पताल से ही शुरू हुई ऐसे में जब हमने मामले की जानकारी करने के लिये नवागन्तुक मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डाॅ डीके सिंह के मोबाइल पर सम्पर्क करने की कोशिश को तो घण्टी बजती रही लेकिन इन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।
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