बचके रहना रे बाबा: जानवी स्वीट्स के मालिक की दबंगई से ग्राहक परेशान, स्वच्छता को लेकर टोकने पर हो जाती है पिटाई | New India Times

गणेश मौर्य, अंबेडकरनगर (यूपी), NIT; 

बचके रहना रे बाबा: जानवी स्वीट्स के मालिक की दबंगई से ग्राहक परेशान, स्वच्छता को लेकर टोकने पर हो जाती है पिटाई | New India Times​कहा जाता है कि ग्राहक दुकानदार के लिए भगवान के समान होता है, व्यापार में ग्राहकों के साथ बड़ी नरमी बरती जाती है, लेकिन आज हम आप लोगों को एक ऐसे दुकानदार से मिलाना चाहते हैं जो अपने ग्राहकों से नरमी नहीं गर्मी से बात करता है और जरा सा वाद विवाद होने पर पिटाई शुरू कर देता है।

जी हां बेवाना थाना से महज 200 मीटर दूरी पर स्थित जानवी स्वीट्स हाउस एंड रेस्टोरेंट क्षेत्र की सबसे बड़ी मीठाई की दुकान है, मगर यह दुकान हर वक्त अपने कारनामों के चलते विवादों में रहती है। अगर यहां मिठाई खानी है तो जानवी जानवी कहनी है, अगर भूल से भी ग्राहक साफ-सफाई को लेकर थोड़ा भी बोला तो उसकी खैर नहीं। अभी हाल में ही दबंग दुकानदार राकेश ने एक युवक को पीट दिया, युवक का कुसूर बस इतना ही था कि उसने साफ-सफाई को लेकर बोला था जिस पर दुकानदार आग बबूला हो गया और लात-घूसों से उसकी पिटाई कर दी वह भी पुलिस वालों के आंखों के सामने। किसी भी तरह बीच बचाव करके पुलिस ने मामले को शांत कराया। जिसे भी दुकान में मिठाई खानी होती है वह चुपचाप मिठाई खाकर भय बस कुछ नहीं बोलता, खासकर सफाई पर।  स्थानीय लोगों ने एनआईटी संवाददाता को बताया कि दुकानदार कहता है कि मेरा कोई कुछ भी नहीं उखाड़ पाएगा, मेरी पहुंच ऊपर तक है।

गांव में भले ही मिठाई की दुकानों और रेस्त्रां की जांच होती हो, लेकिन बेवाना कस्बे में ऐसी दुकानों पर धड़ल्ले से घटिया सामान बेचा जा रहा है।

जानवी स्वीट हाउस एंड रेस्टोरेंट, मिठाई विक्रेता राकेश मोदनवाल पुत्र छोटेलाल मोदनवाल गंदगी के बीच ही मिठाई बनाते हैं और इन्हें बेचने के लिए भी खुले में ही रखा जाता है। गंदगी के बारे में टोकने पर दुकानदार भड़क जाते हैं और कहते हैं जिसको खाना होगा खाएगा नहीं तो जाएगा और अपनी मिठाई कम कीमत की दलील देते हैं। खुलेआम बिक रहीं ऐसी घटिया मिठाइयों की जांच के लिए यहां कोई खास इंतजाम नहीं है। बेवाना थाने पर पता चला कि इस दुकानदार के खिलाफ काफी शिकायतें आ चुकी हैं मगर लिखित रूप से अभी तक नहीं आई है। दुकान के काउंटर पर दिखावे की खातिर भले ही सजावट हो, लेकिन अंदर गंदगी की भरमार है।आप खुद देख कर अंदाजा लगा सकते हैं की कितनी सफाई है काउंटर पर रखी हुई जलेबियों पर, कितने कीड़े मकोड़े मक्खियां रेंग रहे हैं। यहां धूल और भिनभिनाती मक्खियों के बीच ही मिठाई बनाई और बेची जाती है।कस्बे और आसपास के गांवों के लोग खुली मिठाई को खा कर बीमारियों की सौगात अपने-अपने घरों में लेकर जाते हैं। क्या प्रशासन इस ओर भी ध्यान देगा???


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