पीयूष मिश्रा/अश्वनी मिश्रा की स्पेशल रिपोर्ट
प्रदेश की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत और कागजों में नगर परिषद की घोषणा और वादों में सिमटी छपारा नगर की 20 हजार से अधिक आबादी वाली जनता को छपारा ग्राम पंचायत के कर्णधार पिछले एक माह से बिना एलम (फिटकरी) और ब्लीचिंग के दूषित और मटमैला पानी पिला रही हैं जिससे नगर में गंभीर बीमारियों के तेजी से फैलने का खतरा बना हुआ है।उल्लेखनीय है की छपारा नगर के पीएचई कार्यालय में स्थापित वर्षों पुराने एकमात्र जल शोधन संयंत्र फिल्टर प्लांट पर पिछले माह की 27 जुलाई के बाद से ही बैनगंगा नदी से आने वाले पेयजल को फिल्टर करने के उपयोग में लाए जाने वाली एलम फिटकरी और ब्लीचिंग समाप्त हो गई थी। इस बात की सूचना पत्र के माध्यम से ग्राम पंचायत छपारा को 25 जुलाई को ही अवगत करा दिया गया था लेकिन एक माह बीत जाने के बाद भी छपारा ग्राम पंचायत के कर्ण धारों के द्वारा नगर की जनता को बिना एलम फिटकरी और ब्लीचिंग का दूषित तथा मटमैला पानी पिलाया जा रहा है जिसके चलते नगर में वर्षा जनित रोग जैसी बीमारियों के अलावा पेट से संबंधित और उल्टी दस्त के मरीजों में तेजी से इजाफा हो रहा है।
शासन प्रशासन और जनप्रतिनिधि भी गंभीर बीमारियों के फैलने की देख रहे हैं राह
छपारा नगर की 20 हजार से अधिक आबादी वाली जनता को पिछले एक माह से वैनगंगा नदी का दूषित तथा मटमैला पानी छपारा ग्राम पंचायत के द्वारा पिलाया जा रहा है और जिला पंचायत सदस्य के अलावा जनपद सदस्य और जनपद उपाध्यक्ष सहित भाजपा और कांग्रेस के नामी गिरामी नेताओं की फौज इस मामले में कुछ भी करना तो दूर कुछ कहने से भी बच रहे हैं। वहीं जिला प्रशासन सहित स्थानीय प्रशासन में बैठे तहसीलदार और जनपद सीईओ भी इस मामले में आंखें बंद कर तमाशा देख रहे हैं जबकि पीएचई के एसडीओ आलोक जैन के द्वारा ग्राम पंचायत छपारा के सरपंच सचिव सहित जनपद पंचायत सीईओ शिवानी मिश्रा को 29 अगस्त को एक पत्र लिखकर यह अवगत कराया गया था कि ग्राम पंचायत के द्वारा लगातार एक माह से दूषित पेयजल नगरवासियों को सप्लाई किया जा रहा है जिसके चलते वर्षाकाल जनित गंभीर बीमारियों के फैलने का खतरा बना हुआ है।