अश्वनी मिश्रा,सिवनी/केवलारी /ड्यूटी घाट (मप्र), NIT; “ना खाऊंगा ना खाने दूंगा” देश के प्रधानमंत्री का यह बयान सिवनी जिला में जुमला साबित हो रहा है। यहां सत्ता पक्ष के कद्दावर नेता, विपक्ष के विधायक सहित कुछ ठेकेदार और दलाल इन दिनों सिवनी जिले में खुलेआम करोड़ों रुपए की मलाई खाने में लगे हुए हैं।
प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना और स्वच्छ भारत मिशन के तहत जिले के आदिवासी क्षेत्रों में कराए जाने वाले कार्यों की आड़ में रेत का खुला खेल जिस तरह चल रहा है उससे ठेकेदार तो मालामाल हो ही रहे हैं इनके साथ सत्ता और विपक्ष सहित सिवनी जिले में बैठे आला अधिकारी भी जमकर रेत की आड़ में करोड़ों रुपए की मलाई खा रहे हैं।उल्लेखनीय है कि जिले की लखनादौन, छपारा, सिवनी, घंसौर, धनौरा, केवलारी, बरघाट सहित कुरई जनपद पंचायत क्षेत्र में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास और स्वच्छ भारत मिशन के तहत घर घर शौचालय निर्माण का कार्य युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। इन निर्माण कार्यों में लगने वाली रेत के खनन हेतु सिवनी जिले की ही केवलारी तहसील की ड्यूटी घाट की खदान को अधिकृत भी किया गया है जिसका ठेका उत्तर प्रदेश के झांसी निवासी मुन्ना यादव को दिया गया है और इसी ठेकेदार के द्वारा करीब आधा सैकड़ा डंपर इस कार्य में लगाए गए हैं।
कांग्रेसियों और भाजपाइयों के डंपर भी लगे हैं खनन में
उत्तर प्रदेश के मुन्ना यादव के द्वारा स्थानीय विधायक के करीबियों सहित कुछ तथाकथित भाजपाइयों के डंपर और पोकलैंड सहित JCB मशीन भी किराए पर चलाई जा रही हैं। परिणाम स्वरुप सत्ता और विपक्ष के दमदार नेता और विधायक सहित उनके तथाकथित दलाल भी इस ठेकेदार की बढ़ती जा रही अनियमितताओं का विरोध भी नहीं कर पा रहे हैं और पीएम आवास रेत के नाम पर करोड़ों रुपए की मलाई खाने में लगे हुए हैं।
पीएम आवास के नाम पर बाजार में बिक रही है रेत
सिवनी जिले के केवलारी तहसील अंतर्गत ड्यूटी घाट से रेत निकालने के बाद ठेकेदार के द्वारा डंपर चालकों को जो रॉयल्टी दी जाती है वह निःशुल्क होती है और इसमें दिए जाने वाले समय भी 24 घंटे का होता है जबकि 100 और 150 किलोमीटर आने जाने में एक डंपर को ज्यादा से ज्यादा सिर्फ और सिर्फ 7 से 8 घंटे का समय ही लगता है। उत्तर प्रदेश के इस ठेकेदार और स्थानीय विधायक के करीबियों सहित सत्ता पक्ष के कुछ तथाकथित दलाल भी इस पूरे कार्य को अंजाम देने में लगे हुए हैं और निःशुल्क रॉयल्टी की आड़ में शासकीय कार्यों के बजाय खुले बाजार में रेत बेचने का खेल इन लोगों के द्वारा ही बेखौफ खेला जा रहा है।
जिला कलेक्टर भी हैं बे-बस
इस पूरे मामले का ध्यान जब जिला कलेक्टर को मीडिया द्वारा आकर्षित कराया गया तब कहीं जाकर जिला कलेक्टर नींद से जागे और उन्होंने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पिछले 2 दिनों से उक्त कार्य में रोक लगा दी है, इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश से रेत ढुलाई के लिए आई हुई है डंपरों की जांच की और उनमें क्षमता से अधिक रेत भरी होने के कारण कार्यवाही भी की जा रही है। लेकिन सवाल यह पैदा होता है कि क्या इस पूरे मामले की जानकारी जिला कलेक्टर को नहीं थी? क्या हमेशा की ही तरह मीडिया ही जिला के आला अधिकारियों के ध्यान में हो रहे घोटाले और गबन की ओर ध्यान आकर्षित कराएगा यह भी अपने आप में एक बड़ा सवाल है?
सिल्ट के नाम पर रेत का खनन
सिवनी जिले के केवलारी तहसील अंतर्गत आने वाले ड्यूटी घाट में जो रेत निकाली जा रही है वहां सिल्ट हटाने की आड़ पर निकल रही है। उल्लेखनीय होगा कि यहां से प्रवाहित होने वाली नदी का बहाव उसमें अत्यधिक सिल्ट जमा हो जाने के कारण कम हो गया था और उसी बहाव को पूर्ववत बनाने रखने के लिए शासन द्वारा यहां से सिल्ट निकालने की अनुमति प्रदान की गई है। लेकिन अब तक इस नदी से कितनी मात्रा में सिल्ट निकाली गई इसका कोई अधिकारिक ब्यौरा भी प्रकाश में नहीं आया है। क्या वास्तव में नदी से सिल्ट निकालने की आड़ में रेत का खनन हो रहा है? हमारे विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि उत्तर प्रदेश के मुन्ना यादव को सिल्ट निकालने के नाम पर रेत खनन के लिए ही अधिकृत किया गया है।
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