ओवैस सिद्दीकी, अकोला (महाराष्ट्र), NIT;
निजी शिक्षा संस्थानो द्वारा शिक्षा का बाजारीकरण एवं शासकीय शिक्षा संस्थान का ढढुलमुल रवैय्या एक खास वजह है। पालकों का निजी शालाओं की ओर रुख करने का। जिले में एक ओर निजी शालाएं विभिन्न प्रकार की सुविधाएं बताकर पालकों को आकर्षित कर रही हैं तो दूसरी ओर शासकीय शालाओं की ईश्वर दया करे जैसे हालात हैं। शहर में नगर निगम द्वारा संचालित विभिन्न शालाओं में विद्यार्थियों की उत्तम सुविधा हेतू कोई भी उचित सुविधा नही है। कहीं तो यह शाला मूलभूत सुविधाओ से भी वंचीत हैं। शहर में शिक्षा के स्तर को बढाने के लिए नगर निगम प्रशासन के साथ जिला प्रशासन द्वारा भी उचित कदम उठाना जरुरी है क्योंकि “पढेंगा इंडिया तभी तो बढेगा इंडिया” वाली कहावत अमल में आए।
शहर के साथ साथ जिले मे भी शिक्षा का बाजारीकरण हो गया है इसीलिए जिले में शिक्षा का स्तर गिर गया है, साथ ही शिक्षकों की प्रतिमा दुर्मिल होती जा रही है। शिक्षा के स्तर को बढाने के लिए शिक्षा विभाग उचित कदम उठाए ताकी शहर के साथ साथ जिले का शिक्षा स्तर सुधरे क्योंकि विद्यार्थी ही देश का उजवल भविष्य होते हैं: ऍड सुमित बजाज
महाराष्ट्र की सभी निजी स्कूलों के ऑडिट रिकॉर्ड चेक किये जायें जिससे की ये पता चले कि निजी स्कूलों के संचालक किस तरह से अभिभावकों से अपने मनमाने तरीके से फीस वसूल कर रहे हैं। जिन निजी स्कूलों के ऑडिट रिकॉर्ड में खामियां पाई जाती है ऐसे निजी स्कूलों को फौरन महाराष्ट्र सरकार आदेश दे कि जिन अभिभावकों से ग़ैर कानूनी रूप से फीस वसूली की गई है उन्हें फ़ौरन फीस वापस करे सभी सरकारी स्कूलों में बायोमेटरिक और सीसीटीव कैमरे लगाए जाएं। दिल्ली सरकार की तरह ही महाराष्ट्र सरकार भी निजी स्कूलों की मनमानी फीस पर नकेल कैसे जिससे कि अभिभावकों की कुछ परेशानी कम हो और सभी गरीब बच्चों को अच्छी शिक्षा का अवसर मिले, इसी से शिक्षा के अधिकार कानून का सही तरह से पालन होगा: डॉ.जावेद अहमद खान