मध्यप्रदेश को वर्ष 2015-16 के लिए मिला कृषि कर्मण पुरस्कार,  नई दिल्ली में कृषि उन्नत मेले में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने विभिन्न श्रेणियों के लिए वितरित किये पुरस्कार | New India Times

अविनाश द्विवेदी/शेरा मिश्रा, 
कटनी/नई दिल्ली, NIT; ​मध्यप्रदेश को वर्ष 2015-16 के लिए मिला कृषि कर्मण पुरस्कार,  नई दिल्ली में कृषि उन्नत मेले में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने विभिन्न श्रेणियों के लिए वितरित किये पुरस्कार | New India Times

मध्यप्रदेश को आज वर्ष 2015-16 के लिए कृषि कर्मण पुरस्कार से नवाजा गया है। नई दिल्ली में आज कृषि उन्नत मेले में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने विभिन्न श्रेणियों के लिए यह पुरस्कार वितरित किया। मध्यप्रदेश का पुरस्कार मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने ग्रहण किया। पुरस्कार में प्रशस्ति-पत्र, ट्राफी और दो करोड़ की पुरस्कार राशि प्रदान की गयी। मध्यप्रदेश को यह पुरस्कार दस लाख टन से अधिक गेहूँ के उत्पादन के क्षेत्र में प्रदान किया गया है। मध्यप्रदेश को लगातार पाँचवीं बार कृषि कर्मण पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। सर्वप्रथम वर्ष 2011-12, 2012-13 और 2014-15 में मध्यप्रदेश को कुल खाद्यान्न की श्रेणी में तथा वर्ष 2013-14 और वर्ष 2015-16 में गेहूँ उत्पादन के क्षेत्र में यह पुरस्कार दिया गया।
साथ ही सेन्ट्रल जोन के अंतर्गत मध्यप्रदेश के दतिया जिले को उन्नत खेती और समग्र विकास के लिये पंडित दीनदयाल उपाध्याय कृषि विज्ञान प्रोत्साहन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा प्रदेश के तीन जिले आगर-मालवा, सिंगरौली और अलीराजपुर में कृषि विज्ञान केन्द्र का शिलान्यास रिमोट से किया गया। प्रगतिशील किसानों की श्रेणी में मध्यप्रदेश के दो किसान जिला होशंगाबाद के पन्नारी गाँव की श्रीमती अरूणा जोशी को प्रति हेक्टेयर 104.60 क्विंटल और जिला नरसिंहपुर के कनवास गाँव के श्री नरेश पटेल को प्रति हेक्टेयर 99.8 क्विंटल गेहूँ उत्पादन के लिए पुरस्कृत किया गया।

प्रदेश में गेहूँ उत्पादन में अप्रत्याशित वृद्धि

मध्यप्रदेश में गेहूँ उत्पादन के मामले में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। वर्ष 2004-05 में गेहूँ का उत्पादन 73 लाख 27 हजार मीट्रिक टन था, जो वर्ष 2016-17 में बढ़कर 219 लाख 18 हजार मीट्रिक टन हो गया है। गेहूँ की उत्पादकता वर्ष 2004-05 में 18.21 क्विंटल प्रति हेक्टेयर थी, जो वर्ष 2016-17 में बढ़कर 34.13 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो गई है। प्रदेश ने गेहूँ उत्पादन के मामले में पंजाब और हरियाणा को पीछे छोड़ दिया है। मध्यप्रदेश के शरबती गेहूँ और डयूरम गेहूँ ने देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी अपनी पहचान बनाई है। मध्यप्रदेश का शरबती गेहूँ देशभर में प्रसिद्ध है।

प्रदेश की कृषि विकास दर देश में सर्वाधिक

मध्यप्रदेश में कृषि विकास दर में पिछले पाँच वर्षों में 18 प्रतिशत रही है, जो पूरे देश में सर्वाधिक है। मध्यप्रदेश में किसानों की आय पाँच वर्ष में दोगुनी करने के लिये रोड-मेप तैयार कर लिया गया है। कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, मछलीपालन, वानिकी, सिंचाई विस्तार, रेशम, कुटीर और ग्रामोद्योग विभाग ने रोड-मेप पर कार्य शुरू कर दिया है। मध्यप्रदेश बीज प्रमाणीकरण के मामले में भी श्रेष्ठ स्थान पर है। प्रदेश में वर्तमान में 40 लाख क्विंटल प्रमाणित बीज पैदा किया जा रहा है।

किसान हितैषी निर्णयों का परिणाम है कृषि कर्मण अवार्ड

 उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में पिछले 14 वर्षों में किसानों के हित में अनेक निर्णय लिये गये हैं। इन निर्णयों की वजह से कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई है। वर्ष 2004-2005 में प्रदेश में 7 लाख 50 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होती थी, जिसका रकबा वर्ष 2016-17 में बढ़कर 40 लाख हेक्टेयर हो गया है।

प्रदेश में वर्ष 2015-16 में 88 लाख किसानों को निरूशुल्क स्वाईल हेल्थ कार्ड बाँटे गए। मध्यप्रदेश देश का पहला प्रदेश है। जिसके प्रत्येक विकासखण्ड में मृदा परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित की जा रही है। वर्तमान में 100 करोड़ रुपये की लागत से 265 प्रयोगशाला का निर्माण किया जा रहा है। कृषि यंत्रीकरण के अर्न्तगत दो हजार कस्टम हायरिंग केन्द्रों की स्थापना की गई है।  इन सेंटर की तर्ज पर ग्रामीण युवाओं के लिए कस्टम प्रोसेसिंग एवं सर्विस सेंटर की योजना जल्दी ही प्रारंभ की जा रही है।

शून्य प्रतिशत पर फसल ऋण

किसानों को कृषि ऋण वर्ष 2004-05 में 18 प्रतिशत की दर से दिया जाता था, जिसे वर्ष 2016-17 से 0 प्रतिशत से भी कम की दर पर दिया जा रहा है। वर्ष 2016-17 में 11 हजार 941 करोड़ रुपये का ऋण किसानों को वितरित किया गया है।

भावांतर भुगतान योजना

मध्यप्रदेश सरकार द्वारा किसानों को मंडियों में भाव के उतार-चढ़ाव से होने वाले हानि से सुरक्षित करने के लिए खरीफ 2017 में 8 फसलों सोयाबीन, मूंगफली, तिल, रामतिल, मक्का, मूंग, उड़द और तुअर पर भावांतर भुगतान योजना लागू की गई है। योजना में 15 लाख किसानों द्वारा 28 लाख मीट्रिक टन से अधिक कृषि उत्पाद का विक्रय मंडियों में किया जा चुका है। वर्ष 2017 में अक्टूबर से दिसम्बर के 10 लाख 50 हजार पंजीकृत किसानों के बैंक खातों में 1512 करोड़ की भावांतर की राशि जमा करवाई गई है। योजना को रबी 2017-18 में भी निरंतर रखा जायेगा। रबी के लिए चना,मसूर,सरसों, प्याज और लहसुन को शामिल किया गया है। योजना में लाइसेंसी गोदाम में भण्डारण पर कुल भण्डारित मात्रा का 25 प्रतिशत भुगतान एवं उस पर ब्याज राज्य सरकार द्वारा दिया जायेगा।

मुख्यमंत्री कृषि उत्पादकता प्रोत्साहन योजना

मुख्यमंत्री कृषि उत्पादकता प्रोत्साहन योजना रबी 2016-17 में गेहूँ और खरीफ 2017 के धान उपार्जन करने वाले 9 लाख किसानों को प्रति क्विंटल 200 रुपये प्रोत्साहन राशि देने का निर्णय भी राज्य सरकार ने लिया है। इस पर 1700 करोड़ की राशि खर्च होंगी।

पुरस्कार वितरण समारोह में केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री राधामोहन सिंह, केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री श्री पुरुषोत्तम रूपाला, श्री गजेन्द्र शेखावत और श्रीमती कृष्णा राज, प्रदेश के कृषि मंत्री श्री गौरीशंकर बिसेन, प्रमुख सचिव कृषि डॉ. राजेश राजौरा, कृषि उत्पादन आयुक्त श्री पी.सी. मीणा और कृषि संचालक श्री मोहन लाल मीणा मौजूद थे।

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