पीयूष मिश्रा/अश्वनी मिश्रा, सिवनी (मप्र), NIT; सिवनी नगर की आम जनता के लिए 62 करोड़ 50 लाख की जलावर्धन योजना मामले में 5 मार्च 2018 को NIT ने बड़ा खुलासा करते हुए इस पूरे जल आवर्धन योजना मामले में व्यापक तौर पर भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी की खबर प्रमुखता से प्रसारित की थी जिसके बाद आज 13 मार्च 2018 को सिवनी कलेक्टर गोपालचंद डाड ने आदेश जारी कर नगरपालिका परिषद सिवनी में यू.आई.डी.एस.एस.एम.टी. जलावर्धन योजनांतर्गत हुए कार्यो में व्यापक अनियमितताएं किये जाने संबंधी शिकायतों के संबंध में योजनांतर्गत हुए संपूर्ण कार्यो की विस्तृत जांच हेतु श्री विनोद तिवारी, कार्यपालन यंत्री, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग सिवनी की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की है। जिसमें विभागाध्यक्ष सिविल यांत्रिकी पॉलीटेक्निक महाविद्यालय सिवनी, श्री ए.एस. अवस्थी, सहायक यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी सिवनी को सदस्य नियुक्त करते हुए जांच समिति को डी.पी.आर. अनुसार किये गये कार्यो की विस्तृत जांच कर 15 दिवस के भीतर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिये गये है। इसके साथ ही मुख्य नगरपालिका अधिकारी सिवनी को जांच समिति को संबंधित समस्त आवश्यक दस्तावेज एवं जानकारी उपलब्ध कराने हेतु निर्देशित किया गया है।
यह है पूरा मामला
62 करोड़ 50 लाख की सिवनी नगर में जल आवर्धन योजना मामले में कई गड़बड़ घोटाले सामने आने के बाद भी नगरपालिका सिवनी ने संबंधित कंपनी के ठेकेदार को लगभग 43 करोड रुपए का भुगतान कर दिया है इस पूरे मामले में नगर पालिका के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के अलावा संबंधित टेक्निकल विभाग के अधिकारियों तथा कर्मचारियों पर भी कई सवाल उठने लगे हैं। जानकार सूत्रों की माने तो इस पूरे गड़बड़ घोटाले और लगभग 43 करोड़ के भुगतान में भारी कमीशनबाजी की गई है।
ज्ञात हो कि भीमगढ़ पूरक जलावर्धन योजना के निर्माण में बरती गयी अनियमितताओं की जांच के मामले में पालिका परिषद के जनप्रतिनिधि मौन साधे हुये हैं। इस मामले में इन लोगों के मौन की बजह ठेकेदार को बिल भुगतान की राशि में से बटने वाला कमीशन बताया जा रहा है। ज्ञातव्य है कि लगभग साढ़े 62 करोड़ 50 लाख की इस जलावर्धन योजना का कार्यादेश 30 मार्च 2015 को जारी किया गया था। इस योजना की ड्रार्इंग डिजाईन पास होने में लम्बा समय लगा और इसके बाद इसका भूमिपूजन कराने में भी इंतजार करना पड़ा। इस कार्य का भूमिपूजन 1 नवम्बर 2015 को कार्यादेश जारी होने के लगभग 7 माह बाद किया गया था।भूमिपूजन के बाद इसका कार्य प्रारंभ किया गया और फिर लगातार इसकी कार्यावधि सीमा बढ़ायी गयी। नगर को पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराने वाली इस योजना में अनियमितताएं बरती जाने की बातें उस समय उजागर होना प्रारंभ हुई जब नगर में पाईप लाईन बिछाने का कार्य प्रारंभ किया गया।
ठेकेदार ने नगर में पाईप लाईन बिछाने में निविदा की शर्तों का उल्लंघन कर रहा है। कंपनी के ठेकेदार द्वारा पाईप लाईन बिछाने के लिये निविदा की शर्तों के अनुसार जो खुदाई की जानी थी, वह नहीं की जा रही है। वहीं पाईप लाईन बिछाते समय न तो उसकी लाईन देखी जा रही है और न ही लेवलिंग।नगर में नाली खोदकर उसमें पाईप लाईन बिछा दी जा रही है और उसके बाद खोदी गयी मिट्टी को उसके ऊपर पूर दिया जा रहा है।
शहर के अंदर पाइप लाइन बिछाने में भी भारी गड़बड़ घोटाला
ठेकेदार को निविदा शर्तों के अनुसार लाईनिंग के आधार पर खुदाई की जानी थी। खुदाई के बाद उस स्थान की मिट्टी का परीक्षण किया जाना था, इसके बाद खोदी गयी नाली को समतल करने के बाद उसमें पाईप लाईन डालना था और इसके बाद पाईप की सुरक्षा के लिये उसके चारों तरफ मुरम की बेडिंग की जानी थी जो ठेकेदार के द्वारा नहीं की गयी। नगर में पाईप लाईन बिछाने का विरोध कुछ वार्डों के पार्षदों के द्वारा भी किया गया, लेकिन पालिका के द्वारा उन पर दबाव बनाकर उस काम को पूरा करा लिया गया। शिकायतों के आधार पर मुख्य नगर पालिका अधिकारी नवनीत पाण्डेय ने इस महत्वपूर्ण योजना के कार्य का निरीक्षण किया और उन्होंने पाया कि इस योजना में ठेकेदार के द्वारा अनियमितता बरती गयीं हैं। मुख्य नगर पालिका अधिकारी ने लक्ष्मी सिविल इंजीनियरिंग सर्विसेस को सूचना पत्र देकर योजना की खामियों पर जबाव मांगा था।
नगर पालिका अध्यक्ष और पार्षदों के ऊपर उठ रहे सवाल
इस मामले में परिषद के अध्यक्ष और पार्षदों ने मौन साधा हुआ है। नगर में चल रही चर्चाओं के अनुसार परिषद के जनप्रतिनिधियों का मौन उनको मिलने वाली कमीशन की राशि का दबाव ही बताया जा रहा है। चर्चाओं के अनुसार ठेकेदार उसको प्राप्त होने वाले बिल में से 6 प्रतिशत की राशि बतौर कमीशन के परिषद में बांटता रहा है। अभी तक ठेकेदार को लगभग साढ़े 43 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है, जिसके अनुसार लगभग पौने 3 करोड़ की राशि परिषद के लोगों को बतौर कमीशन बांटी जा चुकी है। नगर में चल रही चर्चाओं के अनुसार कमीशन की राशि के दबाव के चलते पालिका परिषद के निर्वाचित जनप्रतिनिधि इस योजना की जांच की मांग नहीं उठा रहे हैं और न ही ठेकेदार पर नियमानुसार कार्यवाही की मांग कर रहे हैं, जबकि तीसरी बार भी बढ़ायी गयी इसकी कार्य अवधि भी 31 दिसम्बर 2017 को समाप्त हो चुकी है। अब देखना यह है कि सिवनी कलेक्टर के जांच आदेश के बाद इस तीन सदस्य जांच दल क्या कारवाही तय कर पाता है।
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