पीयूष मिश्रा, सिवनी (मप्र), NIT;
छपारा से लगे ग्राम गौडी तिंसा का जहां ढाई वर्षीय मासूम कृष्णा पिता मनोज धुर्वे खेल खेलते बक्त खटिया से टकरागया जिससे माथे पर मामूली चोट आयी जिसे प्राथमिक उपचार के लिये तुरन्त स्वास्थ्य विभाग छपारा लाया गया। जहां अंगद की तरह जमे डाॅकटर द्वारा बच्चे की गंभीर चोट को गंभीरता से न लेते हुये हुये प्राथमिक उपचार के दौरान दवा दे दी गयी। डॉक्टर की लापरवाही के चलते उसे एडमिट न कर सिर्फ दवाई दी गई, उसके बाद बच्चे को परिजन द्वारा घर लाया गया जहां दो तीन घंटा बच्चा ठीक रहा। बताया गया कि शाम के वक्त जब बच्चे की मां ने दवा खिलाई तो बच्चा परेशान हो गया और अचानक स्वास्थ्य खराब हो गया। तत्काल बच्चे को स्वास्थ्य विभाग लाया गया जहां डाॅ पंचमी के रंग में डूबे हुये थे, एक भी डॉक्टर उपस्थिति नही था, जिस कारण समय पर बच्चे को उपचार नही मिला जिसके कारण परिजनों को मासूम की जान से हाथ धोना पड़ा।
अब जांच का विषय यह है कि….
- कहां थे डाक्टर?
- मामूली चोट से कैसे हुयी मौत?
- यदि गंभीर चोट थी तो क्यों नहीं किया गया जिला अस्पताल रेफर?